लखनऊ। लखनऊ यूनिवर्सिटी ने 'गर्भ संस्कार' में एक डिप्लोमा पाठ्यक्रम शुरू किया है, जिसमें बताया गया है कि गर्भवती महिलाओं को कैसे और क्या जरूर खाना, पहनना चाहिए और कैसा व्यवहार करना चाहिए। 'गर्भ संस्कार' पर पहली कक्षा सोमवार को वर्चुअल रूप से हुई और क्वीन मैरी अस्पताल की डॉ. अमिता पांडे और आध्यात्मिक सलाहकार शिवानी मिश्रा ने वर्तमान सामाजिक संदर्भ में गर्भ संस्कार के महत्व और आवश्यकता पर एक व्याख्यान दिया।
पाठ्यक्रम की समन्वयक डॉ. अर्चना शुक्ला ने कहा कि वैदिक शास्त्रों के अनुसार, गर्भ संस्कार 16 संस्कारों में से पहला है जो मानव जीवन का एक हिस्सा है।इस कार्यक्रम के लिए एक दिशानिर्देश तैयार किया गया है जिसमें छात्र 16 संस्कारों के बारे में जानेंगे। कार्यक्रम मुख्य रूप से परिवार नियोजन और गर्भवती महिलाओं द्वारा लिए जाने वाले पोषण पर जोर देता है। इस नए पाठ्यक्रम के तहत विभिन्न कार्यशालाओं का आयोजन किया जाएगा।
छात्रों को मातृत्व की पेचीदगियों को भी पढ़ाया जाएगा और इसमें ऐसे विषय शामिल होंगे जैसे कि गर्भवती महिला को क्या पहनना चाहिए और क्या खाना चाहिए, उसे कैसा व्यवहार करना चाहिए और खुद को कैसे फिट रखना चाहिए।
पाठ्यक्रम में यह भी शामिल होगा कि किस तरह का संगीत उसके और बच्चे के लिए अच्छा है।सूत्रों के अनुसार, स्नातकोत्तर छात्र, रिसर्च स्कॉलर्स, गृहिणियां, आईवीएफ केंद्र समन्वयक और यहां तक कि सेवानिवृत्त स्वास्थ्य अधिकारी भी डिप्लोमा कोर्स में शामिल होने वालों में से हैं।
कक्षाएं वर्चुअल रूप से संचालित की जा रही हैं और छात्र घर बैठे शामिल कर सकते हैं। पाठ्यक्रम में आहार, योग और मानव मनोविज्ञान पर कक्षाएं होंगी।पाठ्यक्रम की शुरूआत के साथ, विश्वविद्यालय रोजगार पैदा होने की भी उम्मीद कर रहा है। एक वर्ष के पाठ्यक्रम में दो सेमेस्टर होंगे।
वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. मधु गुप्ता ने कहा कि यह पाठ्यक्रम महिलाओं और बाल कल्याण कार्यक्रमों को आगे सपोर्ट करेगा।