दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने दिल्ली की आतिशी सरकार से प्राइवेट स्कूलों में खाली सीटों और हायर मिनिमम वेज (उच्च न्यूनतम मजदूरी) के मद्देनजर EWS कैटेगरी में एडमिशन के लिए इनकम लिमिट को बढ़ाने की सिफारिश की है। एलजी ने दिल्ली सरकार से EWS कैटेगरी में एडमिशन के लिए इनकम लिमिट को 1 लाख से बढ़ाकर 5 लाख करने को कहा। उन्होंने आय संबंधित दिल्ली हाईकोर्ट के एक मामले संबंधित फाइल में कहा कि आदर्श रूप से इनकम लिमिट 8 लाख रुपये होनी चाहिए, क्योंकि प्राइमरी और सेकेंडरी लेवल पर लाभांवित होने वाले छात्र ही आगे चलकर हायर एजुकेशन हासिल करते हैं।
5 लाख तक करने की सिफारिश
एलजी ने कहा कि उनका मानना है कि प्राइवेट स्कूलों में EWS सीटों पर एडमिशन के लिए प्राइमरी लिमिट हायर एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन में EWS एडमिशन के मामले में लागू 8 लाख रुपये की प्राइमरी सीमा के मुताबिक होनी चाहिए, या हाई कोर्ट द्वारा इंगित कम से कम 5 लाख रुपये होनी चाहिए। शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम 2009 के अन्तर्गत प्राइवेट अनऐडेड स्कूलों में 25 फीसदी सीटें EWS कैटेगरी के छात्रों के लिए रिजर्व हैं। एलजी ने कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा अधिसूचित मिनिमम वेज के मुताबिक, कुशल मजदूरों की सालाना आय 2.5 लाख रुपये से अधिक है।
11 प्रतिशत सीटें रह गईं थी खाली
आगे कहा कि उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 3 एकेडमिक सेशन में दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों में EWS के लिए रिजर्व सीटों में से औसतन 11 प्रतिशत सीटें खाली रह हई हैं। ये खाली सीटें स्पष्ट रूप से दिल्ली सरकार की नीतिगत विफलता है, क्योंकि उन्होंने सालाना इनकम की लिमिट को कम रखा और कवरेज को भी सीमित रखा।
दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश का दिया हवाला
एलजी ने आगे कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट ने भी 5 दिसंबर 2023 को अपने एक आदेश में कहा था कि समाज के आर्थिक ढांचे की गतिशीलता के साथ सीमा बदलती रहनी चाहिए। हायर एजुकेशनल इंस्टिट्यूशन के मुकाबले दिल्ली स्कूलों में एडमिशन की ये लिमिट केवल कमजोर समाज को न सिर्फ वंचित रख रहा बल्कि कानून के लाभों को प्राप्त करने के सिद्धांत का भी उल्लंघन करता है।
उन्होंने अपने नोट फाइल में कहा कि सीएम को यह सलाह दी जाती है कि वे दिल्ली के प्राइवेट अनऐडेड स्कूलों में एडमिशन के लिए मौजूदा लिमिट पर विचार करें, जिससे दिल्ली के EWS के एक बड़े समूह के हित में आय सीमा को कम से कम 5 लाख रुपये तक बढ़ाया जा सके।
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