नई दिल्ली । राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर सोमवार को एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सम्मेलन हुआ। इसमें राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, विभिन्न राज्यों के गवर्नर, उपराज्यपाल और शिक्षामंत्री शामिल हुए। इस दौरान दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कॉन्फ्रेंस में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन पर गंभीर सवाल उठाए। मनीष सिसोदिया ने कहा, "नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इसे लागू करने की योजना का अभाव है। इस नीति को लागू करने पर अच्छी तरह चिंतन करके ठोस कार्ययोजना बनानी चाहिए, ताकि यह महज एक अच्छे विचार तक सीमित न रह जाए। इसमें जीडीपी का 6 प्रतिशत शिक्षा पर खर्च करने की बात कही गई है। ऐसा पहले भी कहा जाता रहा है। अब इस पर कानून बनाना चाहिए ताकि इसे लागू करना सबकी बाध्यता हो।"
सिसोदिया ने कहा, "आजादी के 73 साल बाद भी हम लॉर्ड मैकाले का नाम लेकर अपनी सरकारों की कमियां छुपाते हैं। वर्ष 1968 और 1986 में नई शिक्षा नीति बनाई गई। उन नीतियों का कार्यान्वयन नहीं करने की नाकामियों को छुपाने के लिए मैकाले को बहाना बनाया जाता है। आजादी के इतने साल बाद तक हमें अपनी शिक्षा नीति लागू करने से मैकाले ने नहीं रोका है। हम संकल्प लें कि अपनी कमियों को छुपाने के लिए मैकाले का नाम अब कोई नहीं लेगा।"
सिसोदिया ने कहा, "राष्ट्रीय शिक्षा नीति में वोकेशनल शिक्षा की बात कही गई है। अभी लगभग 80 फीसदी डिग्रीधारी युवाओं को रोजगार के योग्य नहीं समझा जाता है। हमें सोचना होगा कि 20 साल की पढ़ाई के बाद भी हमारे बच्चे अगर रोजगार नहीं पा सके तो कमी कहां रह गई। बैचलर इन वोकेशनल की डिग्री को दोयम दर्जे पर रखा जाना उचित नहीं। अन्य विषयों के स्नातक की तरह इसे भी समान समझा जाये, तभी वोकेशनल कोर्सेस का लाभ मिलेगा।"