कोटा में कोचिंग सेंटर्स की चलाकी पर रोक लग सकती है। बीते दिन केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने एक सवाल के जवाब में इस बात की ओर संकेत दिया है कि कोचिंग सस्ंथानों द्वारा चलाए जा रहे डमी स्कूल को लेकर चर्चा करने की जरूरत है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, ‘‘यह काफी संवेदनशील मुद्दा है, किसी की भी जान नहीं जानी चाहिए। वे हमारे बच्चे हैं। यह सुनिश्चित करना हम सबकी जिम्मेदारी है कि छात्र टेंशन फ्री रहें।’’
2 लाख से ज्यादा छात्र आते हैं कोटा
जानकारी दे दें कि इंजीनियरिंग के लिए ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जाम (जेईई) और मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन के लिए नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेंस्ट (नीट) जैसी एडमिशन परीक्षाओं की तैयारी के लिए देश भर से सालाना 2 लाख से ज्यादा छात्र कोटा जाते हैं। आधिकारिक आंकड़ों की मानें तो, इस साल कोटा में 23 छात्रों ने सुसाइड की, जो अब तक की सबसे ज्यादा नंबर है। बात करें अगर पिछले साल की तो यह आंकड़ा 15 था।
मुद्दे पर गंभीर चर्चा की जाए
मंत्री ने कहा, ‘‘अब समय आ गया है कि 'डमी स्कूलों' के मुद्दे पर गंभीर चर्चा की जाए। इस मुद्दे को अब और नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। हालांकि, ऐसे छात्रों की संख्या कुल छात्रों की संख्या की तुलना में बहुत ज्यादा नहीं है। पर अब समय आ गया है कि इस बारे में गंभीर चर्चा और विचार-विमर्श किया जाए।’’
सरकार छात्रों के लिए कर रही ये काम
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करने की दिशा में काम कर रही है कि छात्रों को कोचिंग की जरूरत न पड़े। NEET और JEE की तैयारी करने वाले कई उम्मीदवार अपने गृह राज्यों के स्कूलों में एडमिशन लेते हैं और कोचिंग क्लासेज के लिए कोटा जाते हैं। ज्यादातर समय वे स्कूल नहीं जाते हैं और सीधे बोर्ड परीक्षा में शामिल होते हैं। बता दें कि इससे पहले'डमी स्कूलों' के मुद्दे को कई विशेषज्ञों ने उठाया है, जिनका मानना है कि स्कूल नहीं जाने से छात्रों के पर्सनालिटी डेवलपमेंट में समस्या आती है और वे अक्सर अलग-थलग और तनावग्रस्त महसूस करते हैं।
(इनपुट-पीटीआई)
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