'बेटा हमारा बड़ा हो कर इंजीनियर-डॉक्टर बनेगा' ये सिर्फ पिता द्वारा बेटे के लिए कहे शब्द नहीं होते हैं, ये एक तरह की ज़िम्मेदारी होती है जो बच्चों के कंधों पर तब डाल दी जाती है, जब उनका कंधा पहले से ही 10 किलो के स्कूली बैग से झुका होता है। ऐसे बच्चे कुछ और बनने का सपना नहीं देख पाते, उनकी आंख खुलने से पहले ही उन्हें एक सपना दिखा दिया जाता है IIT या NEET क्वालिफाई कर के देश के किसी बड़े मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेने का, बिना ये जाने कि उनमें वो सपना हासिल करने की क्षमता है भी या नहीं।
इन छोटे-छोटे रंगीन गुब्बारों में इतनी ज्यादा आईआईटी और नीट के सपने की हवा भर दी जाती है कि वो आसमान में उड़ने की बजाय कोटा में पहुंच कर फट जाते हैं. बीते दिनों तीन छात्रों के साथ भी ऐसा ही हुआ। प्रणव (17), उज्ज्वल (17) और अंकुश (18) ये तीन छात्र उस उम्र में दुनिया को अलविदा कर के चले गए, जिस उम्र में उन्हें बहुत कुछ करना था। खैर, अब तक के जांच में जो बात सामने निकल कर आई है वो ये है कि ये तीनों छात्र पढ़ाई के दबाव की वजह से डिप्रेस थे और कई दिनों से अपनी कोचिंग और क्लासेज भी मिस कर रहे थे।
हर साल बढ़ रही है आत्महत्या की दर
एनसीआरबी के आंकड़ों पर नज़र डालें तो हर साल देश में हजारों छात्र आत्महत्या करते हैं। पिछले पांच साल के आंकड़ों पर नज़र डालें तो 2017 में जहां कुल 9,905 छात्रों ने आत्महत्या की थी, वहीं साल 2018 में 10,159 छात्रों ने आत्महत्या की थी। 2019 में ये आंकड़ा 10,335 था और 2020 में ये 12,526 तक पहुंच गया। जबकि, 2021 में देश में कुल 13,089 छात्रों ने आत्महत्या की। आपको बता दें 2020 से 2021, जब सबसे ज्यादा छात्रों ने आत्महत्या की उस वक्त कोरोना काल चल रहा था और ज्यादातर छात्र अपने घरों से पढ़ाई कर रहे थे। ये सोचने वाली बात है कि हॉस्टल में रहने की बजाय जब छात्रों को घर पर रह कर पढ़ाई करनी पड़ी तो उनमें आत्महत्या की दर ज्यादा थी। एनसीआरबी के आंकड़े में एक और बात सामने आई की आत्महत्या करने वाले छात्रों में लड़कों की संख्या लड़कियों की अपेक्षा ज्यादा थी।
इन पांच राज्यों के छात्र ज्यादा कर रहे आत्महत्या
छात्रों के आत्महत्या के मामले में देश के जो पांच राज्य सबसे ऊपर हैं, उनमें महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक और ओडिशा हैं। एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, साल 2021 में महाराष्ट्र के 1834 छात्रों ने आत्महत्या किया, वहीं मध्य प्रदेश के 1308 छात्रों ने आत्महत्या की। जबकि, तमिलनाडु के 1,246 छात्रों ने आत्महत्या को चुना। वहीं कर्नाटक के 855 और ओडिशा के 834 छात्रों ने आत्महत्या कर ली। हालांकि, एनसीआरबी की रिपोर्ट में इस बात का जिक्र नहीं है कि छात्रों के आत्महत्या के पीछे की वजह क्या है, लेकिन ये जरूर बताया गया है कि साल 2021 में जिन 13,089 छात्रों ने आत्महत्या की थी, उनमें 10,732 की उम्र 18 साल से कम थी।