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नई शिक्षा नीति में वेद, पुराण, आयुर्वेद का ज्ञान फिर से स्थापित होगा : शिक्षाविद

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय, भारत की प्राचीन ज्ञान प्रणाली जैसे कि वेद, पुराण, आयुर्वेद आदि को पुनस्र्थापित करने का प्रयास करेगा। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का मानना है कि यह प्राचीन भारतीय ज्ञान प्रणालियां दुनिया भर के छात्रों के लिए ज्ञान का केंद्र रही हैं

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: November 23, 2020 14:12 IST
Knowledge of Vedas, Puranas, Ayurveda will be reestablished...- India TV Hindi
Image Source : PTI Knowledge of Vedas, Puranas, Ayurveda will be reestablished in new education policy Educationist

नई दिल्ली। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय, भारत की प्राचीन ज्ञान प्रणाली जैसे कि वेद, पुराण, आयुर्वेद आदि को पुनस्र्थापित करने का प्रयास करेगा। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का मानना है कि यह प्राचीन भारतीय ज्ञान प्रणालियां दुनिया भर के छात्रों के लिए ज्ञान का केंद्र रही हैं। नई शिक्षा नीति छात्रों को इन पुराने ज्ञान से अवगत कराएगी। केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने 'नई शिक्षा नीति 2020' को लागू करके भारत को 'विश्वगुरु' बनाने का आग्रह किया। उन्होंने छात्रों से भारत को आत्मनिर्भर बनाने में योगदान देने का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा, नई शिक्षा नीति से हमें आत्मनिर्भर भारत हासिल करने में मदद मिलेगी। अनुसंधान के माध्यम से उच्च स्तर पर नई शिक्षा नीति लागू हो। ऐसे सभी प्रयासों में सरकार का पूरा समर्थन है।

एक ऑनलाइन कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक की मौजूदगी में प्रख्यात लेखक व शिक्षाविद योगेन्द्र नाथ ने कहा, 34 साल के लंबे इंतजार के बाद आई नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मुख्य फोकस राष्ट्रीय, स्थानीय और क्षेत्रीय भाषाओं के माध्यम से समृद्ध भारतीय संस्कृति, धर्म, कला को बढ़ावा देना है। यह सही अर्थों में पहली राष्ट्रीय शिक्षा नीति है, जिसका उद्देश्य भारत को महान भारतीय ज्ञान प्रणाली, वेद, पुराण, आयुर्वेद आदि को पुनस्र्थापित करना है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और शिक्षा मंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत को अपनी नई शिक्षा नीति मिली है।

इससे पहले भारत के प्राचीन विश्वविद्यालय के विषय में जानकारी देते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने कहा,हमारे देश के स्वर्णिम अतीत की तरफ देखें तो तक्षशिला, नालंदा, विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालय नजर आते हैं जो पूरे विश्व में ज्ञान के केंद्र रहे हैं। जहां संसार के कोने-कोने से छात्र शिक्षा ग्रहण करने हेतु आते थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सुचिंतित नेतृत्व में संस्तुत, नई शिक्षा नीति के माध्यम से हम भारत को पुन: वैश्विक ज्ञान केंद्र बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। मुझे विश्वास है कि हमारे तमाम शैक्षिक संस्थान इसमें अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करेंगे।

निशंक ने कहा, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, आध्यात्म, दर्शन, योग, साहित्य, कला तथा खगोल शास्त्र जैसे क्षेत्रों में वैचारिक गहराइयों तक उतरकर हमारे प्राचीन मनीषियों ने हमें जो ज्ञान का खजाना दिया है, वह न सिर्फ भारत के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए एक विरासत की तरह है। मुझे खुशी है कि इस विरासत को, इस खजाने को संजोने का एवं इसे आगे बढ़ाने का महत्वपूर्ण प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने टिप्पणी की कि नई शिक्षा नीति शिक्षा प्रणाली में बदलाव लाएगी और भारत को अधिक ऊंचाइयों तक पहुंचाने में मदद करेगी।

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