झारखंड के समाज कल्याण विभाग के मौजूदा सचिव आईएएस छवि रंजन को ईडी ने कल 10 घंटे लंबी पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया। आईएस पर रांची में हुए सेना के जमीन बेचने के गंभीर आरोप लगे हैं। ईडी ने कल तकरीबन 11 बजे आईएएस से पूछताछ की थी। जानकारी के मुताबकि, आईएएस के खिलाफ ईडी के पास पुख्ता सबूत है जिसके बाद गिरफ्तारी की गई है। ईडी के पास ऐसे कई सबूत हैं जो आईएएस की इस घोटाले से सीधी संलिप्तता दर्शाते हैं। इसके बाद से ही पूरे देश में बवाल से मच गया है कि कौन है ये आईएस छवि रंजन? आइए जानते हैं...
2011 बैच के आईएएस
IAS छवि रंजन झारखंड कैडर के 2011 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। ये आईएस अपने कारनामों के कारण शुरू से ही विवादों में रहे हैं। बता दें कि रांची के विधायक व झारखंड के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीपी सिंह ने तो बजट सत्र के दौरान ने आईएएस पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा दिए थे। इसके बाद राज्य में सनसनी से मच गई थी। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो छवि रंजन की स्कूलिंग जमशेदपुर से हुई है। इसके बाद 1999 में छवि रंजन ने बिष्टुपुर के सेंट मरीज हिन्दी स्कूल से मैट्रिक पास किया। इसके बाद टेल्को के चिन्मया स्कूल से 12वीं पास की।12वीं पास करने के बाद छवि रंजन ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफन कॉलेज से बीएससी व एमएससी की डिग्री ली। इसके बाद छवि रंजन ने यूपीएससी की परीक्षा दी और 2011 में IAS बने। आइएएस में चयन के बाद उन्हें झारखंड कैडर मिला था। झारखंड में उनकी पहली पोस्टिंग चक्रधरपुर में SDO पद पर हुई थी।
विवादों से रहा है पुराना रिश्ता
आईएस छवि रंजन का विवादों से पुराना रिश्ता रहा है। 2015 में छवि रंजन कोडरमा के डीसी थे, इस दौरान उन्होंने मरकच्चो जिला परिषद डाक बंगला परिसर में लगे शीशम के पेड़ों को कटवा कर अपने घर मंगवा लिया था। इसके अलावा छवि रंजन ने हाईकोर्ट के वकील राजीव कुमार को भी धमकी दी थी। वहीं, विधायक सीपी सिंह ने इन पर हथियार के लाइसेंस के लिए पैसे मांगने का आरोप भी लगाया था
क्या है सेना जमीन घोटाला
जानकारी के मुताबिक, जब छवि रंजन (Chhavi ) रांची के DC थे, तब उनके कार्यकाल में बड़े पैमाने पर फर्जी कागजात के आधार पर जमीन की खरीद-फरोख्त की गई। इनमें बरियातू स्थित सेना की जमीन भी शामिल थी। बता दें इस जमीन पर सेना का करीब 90 साल से कब्जा था, इसके बाद अचानक 2021 में प्रदीप बागची ने जमीन पर मालिकाना हक जताते हुए जगतबंधु टी एस्टेट के डायरेक्टर दिलीप कुमार घोष को जमीन बेच दी। इस जमीन की सरकारी रेट 20 करोड़ 75 लाख 84200 रुपये थी, लेकिन बिक्री महज 7 करोड़ की दिखाई गई। उसमें भी महज 25 लाख रुपये ही प्रदीप बागची के खाते में गए, बाकी पैसे चेक के जरिए भुगतान की जानकारी डीडी 6888/2021 में दी गई। लेकिन जब ईडी ने चेक की जांच की तो पता चला कि खातों में पैसे पहुंचे ही नहीं। ईडी को पता चला कि चेक के भुगतान की गलत जानकारी डीडी में दी गई, ताकि खरीद-बिक्री सही लगे।