Tuesday, November 05, 2024
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होली डे होमवर्क से इतना त्रस्त? 9वीं के छात्र का अनोखा विरोध, कलेक्टर को बताए बच्चों के मूल अधिकार

केंद्रीय विद्यालय में क्लास 9 में पढ़ने वाले एक छात्र ने होली डे होमवर्क के खिलाफ एक अनौखा विरोध प्रदर्शन किया। 9वीं के छात्र ने कहा कि होली डे होमवर्क बचपन पर कलंक व क्रूरता है।

Reported By : Manish Bhattacharya Edited By : Akash Mishra Updated on: May 15, 2023 16:06 IST
होली डे होमवर्क के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करता KV 9वीं का छात्र प्रांजल- India TV Hindi
होली डे होमवर्क के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करता KV 9वीं का छात्र प्रांजल

केंद्रीय विद्यालय में 9वीं के छात्र प्रांजल ने रविवार को कलेक्ट्रेट के सामने बैठकर होम वर्क किया। उसने इस संबंध में जिला कलेक्टर को पत्र भी दिया। प्रांजल ने कहा कि होली डे होमवर्क बचपन पर कलंक व क्रूरता है। प्रांजल ने अपनी मम्मी के साथ 2 घंटे तक कलेक्ट्रेट के बाहर बैठकर होम वर्क किया। प्रांजल ने केंद्रीय विद्यालय के अध्यक्ष (जिला कलेक्टर) को दिए पत्र में बताया है कि वह होली-डे होमवर्क के विरोध में अनिश्चितकाल के लिए कलेक्ट्रेट के सामने विरोध प्रदर्शन करेगा। 

'होली डे होमवर्क बच्चे के मूल अधिकार का उल्लंघन है'

9वीं क्लास के छात्र प्रांजल का कहना है कि होली डे होमवर्क बच्चे के मूल अधिकार अनुच्छेद 14 व 21 का उल्लंघन है। इसके विरोध में वह प्रत्येक रविवार सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक कलेक्ट्रेट के सामने अपना होली डे होमवर्क करते हुए अनिश्चितकालीन विरोध प्रदर्शन करेगा। वहीं, प्रांजल की मां अनामिका ने बताया है कि होली डे होमवर्क बचपन पर कलंक व क्रूरता है। इसकी समाप्ति के लिए प्रांजल लगातार दो सालों से कलेक्टर झुंझुनूं, अध्यक्ष केंद्रीय विद्यालय झुंझुनूं, स्कूल प्राचार्य और केंद्रीय विद्यालय संगठन के जिम्मेदार पदाधिकारियों को पत्र लिख रहा है।

'अन्य रूचियां खत्म हो रहीं'
प्रांजल ने कहा कि छुट्टी के दिनों में भी होमवर्क के चलते बचपन व अन्य रूचियां खत्म हो रही हैं। अवकाश में भी होमवर्क, प्रोजेक्ट, मॉडल, फाइल आदि बनाता रहता हूं। प्रांजल ने कहा कि चाहे बच्चे हों या बड़े, छुट्टी का अर्थ और महत्व सभी के लिए एक ही जैसा है। लेकिन बड़े लोग अवकाश के समय अवकाश मनाते हैं जबकि बच्चों को ढेर सारा होमवर्क करना पड़ता है। भारत में शिक्षण संस्थाओं से जुड़े लोग नकारात्मक विचारधारा रखते हैं, अवकाश हो या स्कूल टाइम, ये लोग बच्चे को सिर्फ पढ़ते हुए ही देखना चाहते हैं, जो पूरी तरह से अमानवीय सोच है।

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