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न्यूक्लियर प्लांट, रनवे और ब्रिज के निर्माण में जामिया का नया आविष्कार

जामिया मिलिया इस्लामिया के किए गए एक आविष्कार को भारत सरकार ने पेटेंट प्रदान किया है। यह पेटेंट जामिया के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के एक अविष्कार को दिया गया है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : September 24, 2020 11:23 IST
Jamia's new invention in construction of nuclear plant,...
Image Source : GOOGLE Jamia's new invention in construction of nuclear plant, runway and bridge

नई दिल्ली। जामिया मिलिया इस्लामिया के किए गए एक आविष्कार को भारत सरकार ने पेटेंट प्रदान किया है। यह पेटेंट जामिया के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के एक अविष्कार को दिया गया है। यहां असिस्टेंट प्रोफेसर इबादुर रहमान ने 'हाई स्ट्रेंथ सीमेंटेटिव नैनोकोम्पोसिट कम्पोजिशन और इसको बनाने के तरीके' का आविष्कार किया है। जामिया विश्वविद्यालय के मुताबिक संशोधित यह नैनो कंपोजिट महत्वपूर्ण संरचनाओं में उपयोगी होंगे।

खासतौर पर न्यूक्लियर पावर प्लांट, एयरपोर्ट रनवे और ब्रिज जैसी उच्च शक्ति की आवश्यकता वाले निर्माण में इसका उपयोग किया जा सकता है। यह सामग्री विशेष रूप से 'स्मार्ट सिटीज' पर भारत सरकार की परियोजनाओं में उच्च इमारतों के निर्माण में भी लाभदायक होगी।आविष्कार का मुख्य उद्देश्य नैनो संशोधित सीमेंट आधारित सामग्रियों का उत्पादन करने के लिए नैनो प्रौद्योगिकी और निर्माण प्रौद्योगिकी को एक साथ लाना है। इसके इस्तेमाल से कम वजन के सबसे कुशल संसाधनों को प्राप्त किया जा सकता है।

प्रोफेसर इबादुर रहमान ने कहा, "नैनो एडिटिव्स वाली कई रचनाओं का उपयोग उच्च शक्ति वाले सीमेंटयुक्त कंपोजिट बनाने के लिए किया गया। सीमेंट मैट्रिक्स में नैनो सीमेंट, सिलिका फ्यूम, नैनो सिलिका फ्यूम, फ्लाई ऐश और नैनो फ्लाई ऐश जैसे योगात्मक घटकों के प्रभाव का सामान्य आकार के सीमेंट मैट्रिक्स के संदर्भ में अध्ययन किया गया। नैनो कणों को जोड़ने के साथ, सीमेंटेड मैट्रिक्स के गुणों में एक महत्वपूर्ण सुधार देखा गया।"इससे पहले जामिया टीचर्स एसोसिएशन यानी जेटीए ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से जामिया विश्वविद्यालय के बुनियादी ढांचे, शिक्षाविदों, शोध एवं अनुसंधान के लिए 100 करोड़ रुपये का अनुदान जारी करने का अनुरोध किया था।

जेटीए ने कहा, "जामिया विश्वविद्यालय वित्तीय संकट के कारण रिक्त पदों पर लगभग 250 शिक्षकों की भर्ती नहीं कर सका। इन अप्रत्याशित परिस्थितियों के कारण, जामिया प्रशासन के पास शोध विद्वानों को शिक्षण भार सौंपने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था। ऐसा अभ्यास टिकाऊ नहीं है क्योंकि यह विश्वविद्यालय में शिक्षण और शोध प्रगति पर प्रतिकूल प्रभाव डालेंगे। यह पीएचडी पर एक अतिरिक्त मनोवैज्ञानिक बोझ डाल सकता है। जेटीए को डर है कि यह व्यवस्था अब छात्रों को और प्रभावित करेगी।

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