भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी ISRO ने हिमालयी क्रायोस्फेरिक खतरों पर एक ऑनलाइन कोर्स की घोषणा की है। इस कोर्स की अवधि एक दिन की है। जानकारी के अनुसार इस कोर्स के लिए कोई फीस नहीं है। इस पाठ्यक्रम को शुरू करने का उद्देश्य प्रतिभागियों को जलवायु परिवर्तन से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों और हिमालयी ग्लेशियरों पर इसके प्रभाव के बारे में शिक्षित करना है। अब सवाल आता है कि इस कोर्स के लिए कौन-कौन अप्लाई कर सकता है। इस सवाल के जवाब को जानने के लिए आप नीचे खबर में पढ़ सकते हैं।
कौन कर सकता है अप्लाई
यह कोर्स उन छात्रों के लिए खुला है जो भारत में ग्रेजुएशन के अंतिम वर्ष और पोस्ट ग्रेजुएशन के किसी भी वर्ष में हैं। साथ ही, वे व्यक्ति जो केंद्रीय/राज्य सरकार के मंत्रालयों/विभागों में तकनीकी/वैज्ञानिक कर्मचारी और विश्वविद्यालयों/संस्थानों में संकाय/शोधकर्ता के रूप में काम कर रहे हैं। इस कोर्स के पूरा होने के बाद, प्रतिभागियों को कोर्स का प्रमाण पत्र दिया जाएगा।
इस कोर्स में क्या होगा?
इस कोर्स में हिमालयी क्रायोस्फीयर के महत्व पर चर्चा की जाएगी, जिसमें ग्लेशियरों, बर्फ के आवरण और नदी घाटियों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव पर जोर दिया जाएगा। प्रतिभागियों को नई ग्लेशियल झीलों के विकास के बारे में जानकारी मिलेगी, जो ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOF) जैसे जोखिम पेश करती हैं, साथ ही पर्माफ्रॉस्ट पिघलने की बढ़ती चिंता भी।
पाठ्यक्रम
यह पाठ्यक्रम ISRO के ई-क्लास प्लेटफॉर्म के माध्यम से ऑनलाइन आयोजित किया जाएगा और इसमें चार मुख्य सेशन होंगे:
- भूवैज्ञानिक खतरों का अवलोकन (11:00-11:30)
- जलवायु परिवर्तन के परिप्रेक्ष्य से क्रायोस्फीयर के तत्व और गतिशीलता (11:35-12:20)
- हिमालय में उच्च पर्वतीय खतरे, मलबे के प्रवाह पर ध्यान केंद्रित करना (14:15-15:00)
- क्रायोस्फीयर खतरों के लिए रिमोट सेंसिंग अनुप्रयोग (15:05-15:50)
कैसे करें रजिस्ट्रेशन?
छात्र अपने संबंधित नोडल केंद्रों के माध्यम से उक्त कार्यक्रम के लिए पंजीकरण कर सकते हैं। नोडल केंद्रों के माध्यम से पंजीकरण करने वालों को केंद्र समन्वयक से अनुमोदन की आवश्यकता होगी, जबकि व्यक्तिगत पंजीकरण स्वचालित रूप से स्वीकृत हो जाते हैं। सभी पंजीकृत प्रतिभागियों को ISRO लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम (LMS)- isrolms.iirs.gov.in के लिए अपने लॉगिन क्रेडेंशियल मिलेंगे।
मिलेगा कोर्स सर्टिफिकेट
70% उपस्थिति के आधार पर, छात्रों को कोर्स भागीदारी प्रमाणपत्र दिया जाएगा। कोर्स भागीदारी प्रमाणपत्र उन सभी को दिया जाएगा जो प्रत्येक सत्र के कम से कम 70% घंटे कोर्स के लिए समर्पित करते हैं। कोर्स भागीदारी प्रमाणपत्र ISRO LMS में डाउनलोड के लिए उपलब्ध होगा।
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