बिहार में ऐसे कॉलेज जो राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों से संबद्ध है, उनमें अब इंटरमीडिएट की क्लासेज बंद होने जा रही हैं। इसकी घोषणा नीतीश सरकार ने की है। बिहार सरकार ने कहा कि वह राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों से संबद्ध कॉलेजों में आयोजित होने वाली प्लस टू (इंटरमीडिएट) कक्षाएं बंद करने जा रही है। बुधवार देर शाम जारी सरकार ने एक नोटिस जारी कर इसकी सूचना दी। नोटिस में, शिक्षा विभाग ने कहा कि लगभग एक दशक पहले पटना यूनिवर्सिटी में ऐसी कक्षाएं बंद कर दी गई थीं, ऐसे ही इस साल अप्रैल में शुरू होने वाले एकेडमिक सेशन से अन्य यूनिवर्सिटीज के अंतर्गत आने वाले कॉलेजों में भी क्लासेज नहीं होगी।
तीनों फैकल्टी की यहां होगी पढ़ाई
नोटिस के मुताबिक, नए सेशन से इंटरमीडिएट की शिक्षा (तीनों फैकल्टी- आर्ट, साइंस और कॉमर्स) अब केवल हायर सेकेंडरी स्कूलों में ही दी जाएगी। विभाग ने यह भी कहा कि इंटरमीडिएट (प्लस टू) को कॉलेजों से अलग करने की सिफारिश विश्वविद्यालय अधिनियम में की गई है, लेकिन उच्च माध्यमिक विद्यालयों में अपर्याप्त बुनियादी ढांचे और जनशक्ति के कारण इसे अब तक लागू नहीं किया जा सका है। इस संबंध में रेजुलेशन पहले ही राज्य गैजेट में छापा जा चुका है। साल 2007 में नीतीश कुमार सरकार ने नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (1986/92) के अनुरूप कॉलेजों से इंटरमीडिएट शिक्षा को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने का नीतिगत निर्णय लिया था और प्लस टू में 10+2 फॉर्मेट पेश किया था।
उच्च माध्यमिक विद्यालयों के लिए 67,961 शिक्षकों भर्ती
नोटिस में कहा गया है, "विभाग ने पहले से ही बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे का विकास किया है और एक विशेष अभियान के तहत उच्च माध्यमिक विद्यालयों के लिए 67,961 शिक्षकों और माध्यमिक विद्यालयों में 65,737 अन्य शिक्षकों की भर्ती की है। सरकारी स्कूल अब प्लस टू शिक्षा को संभालने के लिए सुसज्जित हैं।" इससे पहले, बिहार सरकार ने भी हर पंचायत में एक उच्च माध्यमिक विद्यालय खोलने का नीतिगत निर्णय लिया था और मौजूदा माध्यमिक विद्यालयों को अपग्रेड किया था।
(इनपुट-पीटीआई)
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