भारतीय रेल हमारे देश की धड़कन है। रेल नेटवर्क पूरे देश में कोने-कोने तक फैला हुआ है, शायद ही देश का कोई हिस्सा इससे अछूता हो। देश के रोजाना लाखों लोग ट्रेन से यात्रा करते हैं। इसके लिए देश में जगह-जगह रेलवे स्टेशन बनाया गया है। उनसभी रेलवे स्टेशन के नाम भी होते हैं, पर देश में दो ऐसे भी रेलवे स्टेशन है जिसका ऑफिशियल नामकरण ही नहीं किया गया, वहां के साइन बोर्ड पर आज भी कोई नाम नहीं है। अगर आपको इसकी जानकारी नहीं है तो परेशान बिल्कुल न हो। हम आपको इन स्टेशन के बारे में पूरी जानकारी मुहैया कराएंगे, साथ ही ये भी बताएंगे कि इस स्टेशन का नामकरण क्यों नहीं हो सका।
ऑफिशियल ही नहीं किया गया नाम
देश के हर राज्य, हर जिले में कई रेलवे स्टेशन होते हैं और इन सभी के ऑफिशियल नाम भी होते हैं। मगर इन सबसे हटकर दो रेलवे स्टेशन ऐसाे भी है जिनका कोई नाम ही ऑफिशियल नहीं है। हो सकता है कि आप इसे झूठ मान रहे हों, पर ये सच है। पहला रेलवे स्टेशन है झारखंड के लोहरदगा जिले में। इस रेलवे स्टेशन का आजतक कोई नाम नहीं है। बता दें जब आप रांची से टोरी के लिए रेल यात्रा करते हैं तो रास्ते में आपको ये बिना नाम वाला रेलवे स्टेशन दिखेगा। जानकारी के मुताबिक, रेलवे ने इसे 2011 में इस्तेमाल करना शुरू किया तो इसका नाम बड़कीचांपी रखा गया, लेकिन वहां के स्थानीय लोगों ने किसी बात को लेकर विरोध शुरू कर दिया, जिस कारण रेलवे ने इस नाम को ऑफिशियल ही नहीं किया और ये आज भी रेलवे स्टेशन बिना नाम के है।
रेलवे को हटाना पड़ा नाम
ऐसे ही दूसरा रेलवे स्टेशन पश्चिम बंगाल में भी है, जिसका न कोई नाम नहीं है। ये रेलवे स्टेशन बंकुरा-मसग्राम रेलेव लाइन पर पड़ता है, ये रेलवे स्टेशन पश्चिम बंगाल के वर्धमान से 35 किलोमीटर दूर है। बता दें कि पहले इस रेलवे स्टेशन का नाम रैनागढ़ था, लेकिन यहां भी स्थानीय लोगों ने विरोध कर दिया जिस कारण रेलवे को नाम हटाना पड़ा। ये स्टेशन आज भी बिना किसी नाम के चल रहा है। अब आप सोच रहे होंगे कि टिकट कैसे मिलता होगा तो बता दें कि आज भी रैनागढ़ के नाम से ही टिकट मिलता है।