
नई दिल्ली: इंडिया टीवी स्पीड न्यूज एजुकेशन कॉन्क्लेव शुरू हो चुका है। इस मंच पर शिक्षा, जॉब, स्किल से जुड़े कई मुद्दों पर बात की जा रही है। इंजीनियरिंग और मेडिकल ग्रजुएट्स अपने मुख्य क्षेत्रों के बजाय सिविल सेवा, बैंकिंग या स्टार्टअप्स को क्यों चुनते हैं? इस विषय पर कॉन्क्लेव राजेश कुमार पाठक सचिव, प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड( विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय) चर्चा कर रहे हैं।
इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई करने के बाद सिविल सर्विसेज में जाने को लेकर एक सवाल का देते हुए कहा कि लास्ट 10-15 सालों में एक नया कल्चर डेवलेप हुआ है। रिस्क लेने की एबिलिटी डेवलेप हुई है। उन्होंने कहा कि आर्टिकल 16 हमको अपने प्रोफेशन को चूज करने की इजाजत देता है। उन्होंने कहा कि चीन, यूके, रूस के बाद, ड्रोन स्वार्म टेक्नोलॉजी को बनाने वाला इंडिया चौथा देश है।
उन्होंने कहा, "बच्चों को आगे आने वाले 5-10 सालों में उनके स्कूल लवल पर ही ही उनके एप्टीट्यूड के आधार पर और उनको जो लगता है कि इस फील्ड में जाना चाहिए, तो वो जाना का मौका मिलेगा।'
'नई शिक्षा नीति से शिक्षा व्यवस्था में काफी बदलाव आएगा'
इससे पहले इंडिया टीवी स्पीड न्यूज एजुकेशन कॉन्क्लेव में देश के शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने नई शिक्षा नीति से लेकर अन्य सवालों के जवाब दिए। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति से शिक्षा व्यवस्था में काफी बदलाव आएगा। धर्मेंद्र प्रधान ने कोचिंग सेंटर्स के बारे में कहा कि उनके लिए गाइडलाइन दी गई है। केंद्र ने राज्यों को एडवाइजरी जारी की है।