
नई दिल्ली: इंडिया टीवी स्पीड न्यूज एजुकेशन कॉन्क्लेव शुरू हो चुका है। इस मंच पर शिक्षा, जॉब, स्किल से जुड़े कई मुद्दों पर बात की जा रही है। इन मुद्दों में से एक है शिक्षा में सोशल मीडिया की भूमिका – अवसर और खतरा? इस मुद्दे पर इंडिया टीवी स्पीड न्यूज एजुकेशन कॉन्क्लेव में मोहम्मद काशिफ - एक शिक्षक और प्रेरक वक्ता, नीतू सिंह, सहायक प्रोफेसर विजेंद्र चौहान (डीयू) चर्चा कर रहे हैं।
'सोशल मीडिया ने एजुकेशन को अफोर्डेबल बनाया'
एक सवाल का जवाब देते हुए नीतू सिंह ने कहा जब आप अच्छे स्कूल में पढ़े हुए हैं तो आप 10-15 मिनट में पढ़कर समझ जाते हैं कि क्वालिटा क्या दी जा रही है, ये टीचर सही है या नहीं। उन्होंने आगे कहा, "आज का बच्चा जो है वो एजुकेशन और एंटरटेनमेंट दोनों को एक साथ चाहता हैं। सोशल मीडिया एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जिसने बच्चों के लिए एजुकेशन बहुत अफोर्डेबल बना दिया है।" उन्होंने कहा, "अवयेरनेस की बहुत जरूरत है। सभी बच्चे सुपर इंटेलिजेंट नहीं होते। बहुत सारे एवरेज होते हैं।"
'टीचर एक आर्टिस्ट होता है'
मोहम्मद काशिफ ने कहा कि टीचिंग तो एक आर्ट है, टीचर एक आर्टिस्ट होता है। हमें उसे एक आर्टिस्ट की तरह समझना चाहिए।
'शिक्षण एक जिम्मादारी का काम'
सहायक प्रोफेसर विजेंद्र चौहान ने कहा कि दुनिया के किसी और देश में एक शिक्षक को ऐसे ही शिक्षक बनने की अनुमति नहीं दी जाती है। शिक्षण एक जिम्मादारी का काम है। एक सवाल का जवाब देते हुए विजेंद्र चौहान ने कहा, "अब 25 मिनट की वीडियो देखना भी एक प्रॉबलम हो गया है क्यों कि अटेंशन स्पेन कम हो रहा है। अटेंशन की कमी एक एक सबसे बड़ी चुनौती की तरह है।"