15 अगस्त को देश 77वां स्वतंत्रता दिवस समारोह मना रहा है। इस दौरान स्कूल, सरकारी, गैर सरकारी कार्यालयों में झंडा फहराया जाएगा। इस दौरान कई नेता सामाजिक कार्यकर्ता ध्वज फहराते हैं, लेकिन उनमें से कई राष्ट्रीय ध्वज फहराने के नियम से अनजान हैं। बता दें कि तिंरगा फहराना एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। राष्ट्रीय ध्वज (तिरंगा) हमारे गौरव का प्रतीक है। ये (तिरंगा) तीन केसरिया, सफेद और हरे रंग का होता है। इसमें सफेद पट्टी के बीच एक नीले रंग का अशोक चक्र होता है। इस अशोक चक्र में 24 तीलियां होती हैं। देश में तिरंगे का बहुत सम्मान है। देश के तिरंगे को फहराना कोई आम ध्वज फहराने जैसा बिल्कुल भी नहीं है। देश में ध्वजारोहण के लिए कई नियम और सिद्धांत हैं, जिनको ध्यान में रखकर ही हर एक नागरिक को ध्वजारोहण करना चाहिए।
गृह मंत्रालय ने किया भारतीय ध्वज संहिता, 2002 में संशोधन
शायद आपको न पता हो कि हर घर तिरंगा अभियान के साथ ही गृह मंत्रालय ने भारतीय ध्वज संहिता, 2002 में संशोधन किया है। भारतीय ध्वज संहिता 26 जनवरी, 2002 को लागू हुई और 30 दिसंबर, 2021 को इसमें कुछ संशोधन हुए। इस खबर में हम आपको उन नियमों के बारे में बताएंगे, जिनका पालन करना सभी नागरिक के लिए अनिवार्य होता है। बता दें कि राष्ट्रीय ध्वज के प्रदर्शन के लिए सभी कानूनों, सम्मेलनों, प्रथाओं और निर्देशों को एक साथ लाने के लिए भारत का ध्वज कोड पेश किया गया था।
नियम के मुताबिक, हम ऐसे ही किसी भी आकार और अनुपात में भारतीय ध्वज को डिजाइन नहीं कर सकते हैं। इसके लिए संहिता में नियम हैं, जिसके मुताबिक, राष्ट्रीय झंडे का आकार आयताकार होना चाहिए, जिसका अनुपात 3:2 होता है।
भारतीय ध्वज संहिता में तिरंगे को लेकर कई नियम और सिद्धांत हैं-
जब राष्ट्रीय को किसी अन्य देश के राष्ट्रीय ध्वज के साथ फहराया जाता है, तो इसे दूसरे देश के ध्वज के बाएं तरफ रखा जाना चाहिए। हालांकि, जब तिरंगे को संयुक्त राष्ट्र के झंडे के साथ फहराया जाता है, तो इसे उसके दोनों ओर फहराया जा सकता है।
किसी भी व्यक्ति या वस्तु को सलामी देने के लिए तिरंगे को नहीं झुकाना चाहिए। हालांकि, किसी कारणवश सरकार इसका सार्वजनिक आदेश देते हैं, तो इसे आधा झुकाया जाता है।
राष्ट्रीय ध्वज का इस्तेमाल किसी पोशाक, रूमाल या वर्दी के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
तिरंगे पर किसी भी प्रकार के अक्षर अंकित नहीं किए जाने चाहिए।
तिरंगे का इस्तेमाल किसी प्रतिमा या स्मारक को ढकने के लिए नहीं कर सकते हैं।
तिरंगे को जानबूझकर जमीन पर और पानी में डूबता नहीं छोड़ना चाहिए।
झंडा फहराते हुए ध्यान रखना चाहिए कि इसका केसरिया रंग ऊपर की तरफ ही रहे।
क्षतिग्रस्त और अस्त-व्यस्त तिरंगा बिल्कुल नहीं फहराना चाहिए।
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