नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय में छात्रों के लिए ऑनलाइन क्लास शुरू कर दी गई हैं। शिक्षा जगत के विशेषज्ञों के मुताबिक छात्रों के फीडबैक से पता चला है कि एक घन्टे के दौरान छात्रों से ठीक तरह से बातचीत नहीं हो पा रही है। छात्रों के मन में बहुत से सवाल हैं जिन्हें वह कक्षा में पूछना चाहते हैं लेकिन उन्हें अवसर नहीं मिल पा रहा है। दिल्ली विश्वविद्यालय की एकेडेमिक काउंसिल के पूर्व सदस्य प्रोफेसर हंसराज सुमन ने कहा, मनोवैज्ञानिक रूप से छात्र और शिक्षक दोनों असन्तुष्ट रहते हैं। ऐसी स्थिति में आने वाली परीक्षाओं के लिए छात्रों के मन में डर और घबराहट है।
प्रोफेसर हंसराज ने कहा, ऑन लाइन शिक्षा पद्धति मीटिंग बुलाने के लिए तो ठीक है किंतु अध्ययन-अध्यापन के लिहाज से आधा-अधूरा ज्ञान छात्र प्राप्त करते हैं। किसी भी व्यवस्था को लागू करने से पहले बिना फीडबैक लिए छात्रों पर जबरदस्ती ऑन लाइन एजुकेशन थोपा जाना शैक्षिक जगत के लिए हानिकारक है।
विशेषज्ञों ने मौजूदा स्थिति पर अपनी आपत्ति दर्ज करते हुए कहा, दिल्ली विश्वविद्यालय जैसे संस्थान में हजारों छात्र ग्रामीण और गरीब परिवेश से हैं, जो अपनी कर्मठता और मेहनत के बल पर विश्वविद्यालय में प्रवेश लेते हैं। उनके पास न तो तकनीकी व्यवस्थाएं जैसे स्मार्टफोन, इंटरनेट, लेपटॉप, कम्प्यूटर, वाईफाई है और न ही उनके गांवों में ये सुविधाएं हैं। ऐसी स्थिति में वे इस प्रक्रिया से नहीं जुड़ पा रहे हैं।
दिल्ली विश्वविद्यालय के कई छात्रों के पास पाठ्यक्रम संबंधी पुस्तकें भी नहीं है। दिल्ली में मौजूद छात्रों ने बाजार खुलने के बाद अब फिर भी पुस्तकें खरीद ली हैं। वहीं, असल दिक्कत उन छात्रों के लिए हैं जो दिल्ली से दूर अपने गांव कस्बों में हैं। गौरतलब है कि कोरोना महामारी के कारण हजारों छात्र अपने गांव वापस चले गए हैं। ऐसी स्थिति में सिर्फ तकनीकी सुविधा प्राप्त छात्र ही ऑन लाइन एजुकेशन का लाभ ले पा रहे हैं।
प्रोफेसर हंसराज ने कहा, जिनके पास तकनीकी सुविधाएं नहीं है वे कक्षा में भी नहीं आ पा रहे हैं, इसमें सबसे ज्यादा वह छात्र हैं जिनके पास स्मार्टफोन, इंटरनेट, कम्प्यूटर और लैपटॉप जैसी कोई सुविधाएं नहीं है। दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्रा अंजलि जैन ने कहा, फिलहाल हमें सीमित संसाधनों से ही संतोष करना पड़ रहा है। मौजूदा समय में विश्वविद्यालय ने अपनी ओर से कक्षाएं प्रारंभ करने का प्रयास किया है। यह प्रयास सामान्य दिनों में चलने वाली कक्षाओं जितना कारगर नहीं है लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में हमारे पास यही एकमात्र विकल्प है।
प्रोफेसर आनंद रवि ने कहा, ऑनलाइन कक्षाओं की तुलना सामान्य दिनों में लगने वाली कक्षाओं से नहीं की जा सकती। यह मौजूदा स्थिति के लिए की गई एक आपातकालीन व्यवस्था है। हमें उम्मीद है की स्थिति सामान्य होने के उपरांत कॉलेजों में भी फिर से सामान्य पढ़ाई होने लगेगी।