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विद्यार्थियों का तनाव कम करने के लिए IIT Delhi ने उठाया अहम कदम, किया ये अनोखा बदलाव

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, दिल्ली के निदेशक रंगन बनर्जी ने कहा कि संस्थान ने अपनी मूल्यांकन प्रणाली में सुधार किया है। उन्होंने बताया कि विद्यार्थियों में तनाव कम करने के लिए एक अहम फैसला लिया गया है।

Edited By: IndiaTV Hindi Desk
Published on: August 14, 2023 8:16 IST
सांकेतिक फोटो- India TV Hindi
Image Source : PIXABAY सांकेतिक फोटो

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, दिल्ली(IIT Delhi) के डायरेक्टर रंगन बनर्जी ने कहा कि संस्थान ने अपनी मूल्यांकन प्रणाली में सुधार किया है और विद्यार्थियों में तनाव कम करने के लिए मध्य सेमेस्टर परीक्षाओं का एक सेट हटा दिया है। यह निर्णय कई आईआईटी में विद्यार्थियों की आत्महत्या के कई मामलों की पृष्ठभूमि में आया है, जिसने इस बात को लेकर बहस छेड़ दी है कि क्या पाठ्यक्रम और कठिन अध्ययन कार्यक्रम विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है। 

'नियमित मूल्यांकन के अलावा परीक्षाओं के दो सेट होंगे'

IIT Delhi के निदेशक ने कहा, ‘‘पहले हम एक सेमेस्टर की परीक्षाओं में दो सेट का इस्तेमाल करते रहे हैं, हर सेमेस्टर के आखिरी में अंतिम परीक्षा और कई सतत मूल्यांकन प्रणालियां। हमने एक आंतरिक सर्वे किया और सभी विद्यार्थियों तथा फैकल्टी से मिली प्रतिक्रिया के आधार पर, हमने परीक्षाओं के एक सेट को छोड़ने का फैसला किया है। इसलिए, अब नियमित मूल्यांकन के अलावा परीक्षाओं के दो सेट होंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमने महसूस किया कि परीक्षा कार्यक्रम बहुत अधिक बोझिल था, इसलिए विद्यार्थियों का बोझ और तनाव कम करने का फैसला किया। इस फैसले को सीनेट की मंजूरी मिल गई है और इसे चालू सेमेस्टर में लागू किया जाएगा। दोनों परीक्षाओं के लिए अधिकतम 80 फीसदी अधिभार (वेटेज) की सीमा तय की गई है।’’ 

अप्रैल की बैठक में कौन सा फैसला लिया गया था?
आईआईटी परिषद ने अप्रैल में अपनी बैठक में यह निर्णय लिया कि एक मजबूत शिकायत निवारण प्रणाली, ज्यादा मनोवैज्ञानिक काउंसिलिंग सेवा और स्टूडेंट्स में स्ट्रेस और फेल होने तथा दरकिनार किए जाने के डर को कम करने की जरूरत है। बैठक में विद्यार्थियों के खुदकुशी करने, कथित भेदभाव और विद्यार्थियों का मानसिक आरोग्य सुनिश्चित करने के लिए गहन चर्चा की गई। 

'पिछले पांच साल में सुसाइड के मामले सबसे ज्यादा'
पिछले महीने संसद में शेयर किए गए आंकड़ों के मुताबिक सभी आईआईटी में पिछले पांच साल के दौरान विद्यार्थियों की आत्महत्या के सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए। साल 2018 से लेकर 2023 के बीच भारत के उच्च शैक्षिक संस्थानों में विद्यार्थियों की आत्महत्या के 98 मामलों में से 39 मामले आईआईटी के हैं। बनर्जी ने कहा कि आईआईटी-दिल्ली कुछ मेंटरशिप और मेलजोल के उपायों को मजबूत करने पर जोर दे रहा है, विशेष रूप से कक्षाओं के बाहर विद्यार्थियों के साथ बातचीत को प्रोत्साहित करने पर। 

बनर्जी ने कहा कि मौजूदा ‘विद्यार्थी-शिक्षक संपर्क परिषद’ के माध्यम से छोटे-छोटे समूहों में विद्यार्थियों और शिक्षकों के बीच समय-समय पर अनऑफिशियल रात्रिभोज की फ्रिक्वेंसी को बढ़ाने के अलावा विद्यार्थियों के साथ ‘ओपन हाउस’ बातचीत भी बढ़ाई जा रही है। 

'नाकामी का सामना कैसे करें, इस बताने में हमें समर्थ होना चाहिए'
विद्यार्थियों की खुदकुशी के बारे में बनर्जी ने कहा, "सभी आईआईटी में विद्यार्थी एक बहुत अधिक प्रतिस्पर्धी प्रक्रिया के जरिये पहुंचते हैं, वे एक ऐसी कक्षा में पहुंचते हैं जहां बहुत से बहुत अधिक बुद्धिमान विद्यार्थी होते हैं। हमें लोगों को यह बताने में समर्थ होना चाहिए कि नाकामी का सामना कैसे करते हैं। यह कुछ ऐसा है जिस पर हम ध्यान दे रहे हैं।"

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