आसमान की तरफ जब हम देखते हैं तो वहां हमें एक अलग ही दुनिया दिखाई देती। चमकते चांद सितारों की दुनिया। बचपन में शायद हर बच्चे का सपना होता है कि वह बड़ा होकर एस्ट्रोनॉ बने, लेकिन बड़े होते-होते ये सपने कहीं खो जाते हैं। कई बार ऐसा इसलिए नहीं हो पाता कि हमें पता ही नहीं होता है कि आखिर एस्ट्रोनॉट बनने के लिए पढ़ाई क्या करनी होती है। क्या उसके लिए 12वीं के पहले से ही तैयारी करनी होती है या फिर अगर हम 12वीं पास हो गए हैं तब भी एस्ट्रोनॉट बन सकते हैं। आज हम आपके इन सभी सवालों का जवाब देंगे।
एस्ट्रोनॉट बनने के लिए क्या करना होगा
सबसे बड़ा सवाल हर बच्चे का यही होता है कि आखिर एस्ट्रोनॉट बनने के लिए क्या करना होगा? अगर हम एस्ट्रोनॉट बनने के लिए योग्यता के बारे में बात करें तो आपको एस्ट्रोनॉट बनने के लिए इंजीनियरिंग, बायोलॉजिकल साइंस, फिजिकल साइंस, कंप्यूटर साइंस या फिर गणित में बैचलर डिग्री करनी होगी। इसके साथ ही आपको तीन साल का प्रोफेशनल अनुभव होना चाहिए। अगर आपके पास जेट विमान में 1 घंटे का पायलट-इन-कमांड का अनुभव है तो भी आप एस्ट्रोनॉट बनने के लिए एलिजिबल हैं।
नासा के लिए कैसे बनते हैं एस्ट्रोनॉट
NASA दुनिया की सबसे बड़ी स्पेस एजेंसी है। यहां काम करने वालों का दुनिया में नाम होता है। इस स्पेस एजेंसी में आपको कई भारतीय भी मिलेंगे। हालांकि, अगर आप इस स्पेस एजेंसी में एस्ट्रोनॉट बनना चाहते हैं तो आपको कुछ परीक्षाएं पास करनी होंगी। जो भी लोग नासा में एस्ट्रोनॉट बनना चाहते हैं उन्हें नासा का एस्ट्रोनॉट फिजिकल एग्जाम पास करना होता है। इसके साथ ही परीक्षा के दौरान आपसे कुछ और चीजें पूछी जाती हैं, जैसे क्या आपको स्कूबा डाइविंग आती है, क्या आपके पास कोई जंगल से जुड़ा अनुभव है, क्या आपके पास नेतृत्व का अनुभव है और क्या आपको अन्य भाषाओं का ज्ञान है। भाषा में देखें तो खास तौर से नासा रूसी भाषा जानने वालों को तवज्जो देती है।
एस्ट्रोनॉट बनने के बाद सबसे पहले आप कहां जाएंगे
अगर आप नासा में एस्ट्रोनॉ बनते हैं तो सबसे पहले आपको अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर भेजा जाता है। इसके बाद आपको इससे भी ऊंचाई पर भेजा जाता है। यहां से आपको पूरा स्पेस एक अलग ही दुनिया की तरह नजर आएगा। आप सोच में पड़ जाएंगे कि कैसे इतने बड़े-बड़े ग्रह हवा में तैर रहे हैं। हालांकि, इसके अलावा आपको अगर किसी मिशन पर भेजा गया, तो वहां और रोमांच होगा। लेकिन ये तय करने का अधिकार उस देश की सरकार का होता है, जहां आप एस्ट्रोनॉट होते हैं। जैसे आज पूरी दुनिया में प्रयास चल रहे हैं कि कौन सबसे पहले अपना एस्ट्रोनॉट मंगल पर भेजता है। नासा की बात करें तो उसकी कोशिश है कि वह 2030 तक अपना एस्ट्रोनॉट मंगल पर भेज देगा।