Thursday, November 21, 2024
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IAS Success Story: कभी चपरासी की नौकरी की लेकिन आज हैं आईएएस अधिकारी, जानें खराब आर्थिक स्थिति के बावजूद कैसे शिहाब को मिली सफलता

IAS Success Story: यूपीएससी की परीक्षा कठिन तो है लेकिन इसे क्लीयर करना नामुमकिन नहीं है। मोहम्मद अली शिहाब की सफलता इस बात का उदाहरण है कि जीवन के तमाम संघर्षों के बावजूद अगर आप डटे रहते हैं तो एक दिन सफलता आपके कदम चूमती है। बस आपको आखिरी तक धैर्य और लगन के साथ मेहनत करते रहना है।

Written By: Rituraj Tripathi @riturajfbd
Updated on: October 12, 2022 11:20 IST
Mohammad Ali Shihab- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV GFX Mohammad Ali Shihab

Highlights

  • केरल के रहने वाले मोहम्मद अली शिहाब ने अनाथालय में रहकर की पढ़ाई
  • साल 2011 में उन्होंने यूपीएससी में 226वीं रैंक हासिल की
  • वह इस समय नागालैंड कैडर के आईएएस ऑफिसर हैं

IAS Success Story: यूपीएससी के एग्जाम को क्लीयर करना एक बड़ी चुनौती होती है और इसे देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक माना जाता है। ऐसे में कई बार लोग अपनी किस्मत या किसी अन्य कारण का हवाला देकर तैयारी को बीच में ही छोड़ देते हैं लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो आखिर तक हार नहीं मानते और एग्जाम क्लीयर करते हैं। ऐसी ही कहानी केरल के मोहम्मद अली शिहाब की है। आज शिहाब एक आईएएस अधिकारी हैं लेकिन इस मुकाम तक पहुंचने के लिए उन्होंने बहुत संघर्ष किया है। 

अनाथालय में रहना पड़ा, बांस की टोकरियां और पान बेचे

मोहम्मद शिहाब को अनाथालय में भी रहना पड़ा था। उनका जन्म 15 मार्च 1980 को केरल के मलप्पुरम जिले में हुआ था। उनके पिता का नाम कोरोट अली और मां का नाम फातिमा था। उनके घर पर पैसों की इतनी कमी थी कि शिहाब अपने पिता के साथ बांस की टोकरियां और पान बेचते थे। इस बीच उनके पिता का निधन हो गया, जिसके बाद घर की आर्थिक हालत बहुत खराब हो गई। 

पैसों की कमी की वजह से शिहाब की मां ने उन्हें और उनके भाई-बहनों को अनाथालय में छोड़ दिया। यहीं शिहाब का ध्यान पढ़ाई की ओर गया और उन्होंने 12वीं तक की पढ़ाई अनाथालय में रहकर ही पूरी की। साल 2011 में उन्होंने यूपीएससी में 226वीं रैंक हासिल की। 

तीसरी कोशिश में बने IAS 

मोहम्मद अली शिहाब तीसरी कोशिश में IAS अधिकारी बने। वह इस समय नागालैंड कैडर के आईएएस ऑफिसर हैं। गौरतलब है कि हर साल कई बच्चे सिर्फ इसलिए तैयारी करना छोड़ देते हैं क्योंकि उनका मानना है कि उनके जीवन के संघर्ष उनकी तैयारी में बाधा बन रहे हैं। ऐसे में शिहाब की कहानी सभी बच्चों के लिए प्रेरणास्त्रोत है। शिहाब ने इतने संघर्षों के बावजूद यूपीएससी क्लीयर किया और आईएएस बने। 

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