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आज के दिन ही शुरू हुआ था कंप्यूटर से रिजर्वेशन, जानिए उसके पहले कैसे होती थी पूरी प्रक्रिया

हमारे देश में इंडियन रेलवे ने 20 फरवरी 1986 को कंप्यूटर से रेलवे टिकट आरक्षण प्रणाली(Railawy Ticket Reservation) की शुरूआत की थी। लेकिन आपको पता है कि इससे पहले कैसे होते थे रिजर्वेशन। आज इस खबर के जरिए हम आपको इस बात की पूरी जानकारी देंगे।

Edited By: Akash Mishra @Akash25100607
Published on: February 20, 2023 10:25 IST
सांकेतिक फाइल फोटो- India TV Hindi
Image Source : FILE सांकेतिक फाइल फोटो

आज के टाइम कंप्यूटर के बिना सबकुछ अधूरा- सा लगता है। हर जगह कंप्यूटर एक अहम रोल अदा करता है। फिर चाहे कोई पर्सनल यूज के लिए इस्तेमाल करे या प्रोफेशनल यूज के लिए, कंप्यूटर ने हर क्षेत्र में अहम भूमिका निभाई है। कंप्यूटर को मानव इतिहास के चंद सबसे महत्वपूर्ण अविष्कारों में माना जाता है। इसके होने से आंकड़ों का संकलन(compilation) और संचालन बड़ी सरलता से हो जाता है। आपको बता दें कि हमारे देश में इंडियन रेलवे ने 20 फरवरी 1986 को कंप्यूटर से रेलवे टिकट आरक्षण प्रणाली(Railawy Ticket Reservation) की शुरूआत की थी। 

पहले कैसे होता था रिजर्वेशन?

इससे पहले रेलवे रिजर्वेशन मैन्युअली हुआ करता था। लोगों को मैनुअल टिकट रिजर्वेशन कराने के लिए पहले एक फॉर्म भरना होता था। अगर किसी एक तारीख पर आरक्षण न मिल रहा हो तो अगली डेट डालनी होती थी। इसके बाद भरा हुआ फॉर्म लेकर एक अच्छी खासी बड़ी सी लाइन में लगना होता था। इसी कारण के चलते लोगों को यात्रा के लिए काफी पहले से प्लान करना पड़ता था।

रिजर्वेशन काउंटर पर मौजूद टिकट बुकिंग क्लर्क रजिस्टर में देखकर ट्रेन में सीट खाली है या नहीं इसकी जानकारी देते। यानी ये भी हो सकता था कि आपको आसपास के दिनों में टिकट की उपलब्धता न हो। इसके बाद फिर नए सिरे से कवायद शुरू होती थी। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि पहले अलग-अलग स्थानों की यात्रा के लिए अलग-अलग रजिस्टर मेंटेन किए जाते थे। इसके लिए अलग-अलग खिड़कियां भी होती थीं। 

सांकेतिक फाइल फोटो

Image Source : PTI
सांकेतिक फाइल फोटो

कंफर्म होने पर कैसे मिलती थी टिकट 
जिन लोगों  को मैन्युअल रिजर्वेशन मिल जाता था, उनको एक कार्ड टिकट पर बर्थ नंबर अलॉट किया जाता था। रेलवे इसके लिए एक लेजर भी मेंटेन करता था, जिसकी एक कॉपी TTE को दा जाती थी।अगर किसी व्यक्ति ने एक स्टेशन पर जाकर किसी और स्टेशन से  अपने गंतव्य स्टेशन का रिजर्वेशन कराया है, तो बर्थ बुकिंग की जानकारी उस स्टेशन को टेलीग्राम सर्विस से दी जाती थी। 

शुरू किया पायलेट प्रोजेक्ट?
मैन्युअल रिजर्वेशन में लोगों को हो रही इस परेशानी को देखकर सरकार ने कंप्यूटर सिस्टम को लाने की ठानी। इसके लिए सरकार ने 1985 में पहले पायलेट प्रोजेक्ट शुरू किया। साथ ही सारी कंप्यूटर संबंधी गतिविधियों के लिए एक अम्ब्रेला संगठन के रूप में रेलवे सूचना प्रणाली केन्द्र की स्थापना दिल्ली के चाणक्यपुरी में की। इस नए सिस्टम को क्रिस नाम दिया गया, जिसका काम था रेलवे की प्रमुख कंप्यूटर प्रणालियों के विकास को देखना। 

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