बीते कई दिनों से दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और एलजी ऑफिस के बीच खींचतान देखने को मिल रही है। ये खींचतान शिक्षकों को फिनलैंड ट्रेनिंग के लिए भेजे जाने को लेकर है। मुख्यमंत्री केजरीवाल दिल्ली के सरकारी टीचरों को ट्रेनिंग के लिए फिनलैंड भेजने वाले थे, लेकिन इस फाइल को एलजी ऑफिस की ओर से अब तक मंजूर नहीं किया गया है। दिल्ली के उपराज्यपाल (LG) वीके सक्सेना ने फाइल वापस करते हुए पहले ट्रेनिंग की लागत और इसके लाभ को लेकर रिपोर्ट मांगी है। पिछले दिनों टीचरों को फिनलैंड नहीं भेजे जाने को लेकर दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने इसे दिल्ली के एजुकेशन मॉडल पर हमला बताया था। सोमवार को दिल्ली सरकार के मामलों में हस्तक्षेप और टीचरों को फिनलैंड भेजे जाने को लेकर केजरीवाल की अगुवाई में आम आदमी पार्टी के विधायकों ने एलजी ऑफिस तक मार्च निकाला। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने इस मौके पर कहा कि मुझे उम्मीद है कि उपराज्यपाल अपनी गलती देखेंगे और दिल्ली के सरकारी टीचरों को फिनलैंड में ट्रेनिंग की इजाजत मिलेगी। बता दें कि दिल्ली सरकार अपने टीचरों को फिनलैंड भेजना चाहती है, ऐसे में आपके मन यह भी सवाल आना लाजमी है कि आखिर फिनलैंड का एजुकेशन सिस्टम कैसा है?
आखिर कैसा है फिनलैंड का एजुकेशन
आप जानकर हैरान होगें कि फिनलैंड में हाई स्कूल के एग्जाम से पहले कोई भी स्टूडेंट एक भी एग्जाम नहीं देता है। इतना ही नहीं हाईस्कूल के लिए भी साल के अंत में केवल एक एग्जाम होता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, फिनलैंड में छात्रों, स्कूलों और संबंधित क्षेत्रों के बीच कोई रैंकिंग, कोई कम्पटीशन नहीं है। यहां के स्कूलों को सरकार मदद मुहैया करती है। वहां के सभी स्कूलों के प्रभारी सिर्फ एजुकेशन सिस्टम से जुड़े लोग हैं न कि कोई बिजनेस टायकून, पेशेवर राजनेता। हर स्कूल का एक समान टारगेट है और इसे हासिल करने के लिए यूनिवर्सिटी से ट्रेंड टीचरों का एक समूह है। फिनलैंड में सभी बच्चों को एक समान एजुकेशन हासिल करने का मौका मिलता है चाहे वह किसी भी तबके हो।
9 साल की है जरूरी शिक्षा
फिनलैंड के बच्चों के लिए 9 साल की स्कूलिंग जरूरी है, जिसमें सभी को शामिल होना रहता है। 8वीं क्लास ऑप्शनल है, लेकिन 9 वीं क्लास अनिवार्य। यहां का स्कूलिंग सिस्टम कुछ ऐसे हैं कि बच्चों के दिमाग में कभी यह ख्याल न आए कि वे कैद हैं। हाल ही में आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) ने रिपोर्ट जारी किया इस रिपोर्ट के मुताबिक, फिनलैंड में सबसे कमजोर और सबसे मजबूत छात्रों के बीच का अंतर पूरी दुनिया में सबसे कम है। यहां सभी बच्चों में समानता रखी जाती है ताकि किसी बच्चे के मन में भेदभाव का ख्याल न आए।
नहीं है आगे निकलने की होड़
एकेडमिक या व्यावसायिक हाई स्कूलों से 93 प्रतिशत फिनलैंड के लोग ग्रेजुएट हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका की तुलना में यह 17.5 प्रतिशत अंक अधिक हैं। फिनलैंड के करीब 66 प्रतिशत स्टूडेंट्स हायर एजुकेशन करते हैं जो यूरोपीय संघ में सबसे ज्यादा है। वहीं, फिनलैंड संयुक्त राज्य अमेरिका की तुलना में प्रति छात्र लगभग 30% कम खर्च करता है। फिनलैंड के एक एक्सपर्ट का कहना है कि हम बच्चों को सिखाते हैं कि कैसे चीजों को सीखें, और एग्जाम कैसे दें।