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हाईकोर्ट ने कांस्टेबल भर्ती मामले में भर्ती बोर्ड से मांगी जानकारी

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने नागरिक पुलिस और पीएसी में कांस्टेबल भर्ती के मामले में महिला आरक्षियों के वर्ग में पदों के सापेक्ष ढाई गुना से अधिक अभ्यर्थी बुलाने और बिना वैध जाति प्रमाणपत्र के ओबीसी कोटे में अभ्यर्थियों का चयन करने के मामले में राज्य सरकार तथा पुलिस भर्ती बोर्ड से जानकारी मांगी है

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: October 10, 2020 18:41 IST
High court sought information from recruitment board in...- India TV Hindi
Image Source : GOOGLE High court sought information from recruitment board in constable recruitment case

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने नागरिक पुलिस और पीएसी में कांस्टेबल भर्ती के मामले में महिला आरक्षियों के वर्ग में पदों के सापेक्ष ढाई गुना से अधिक अभ्यर्थी बुलाने और बिना वैध जाति प्रमाणपत्र के ओबीसी कोटे में अभ्यर्थियों का चयन करने के मामले में राज्य सरकार तथा पुलिस भर्ती बोर्ड से जानकारी मांगी है।इस मामले को लेकर कई ओबीसी अभ्यिर्थियों ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की है। उनका कहना है कि सभी चरणों में सफल होने के बावजूद उनका चयन नहीं हुआ। रुचि यादव व अन्य की याचिका पर सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति अजय भनोट ने इस मामले में जानकारी मांगी है।

याची के अधिवक्ता के मुताबिक 2018 भर्ती में महिला आरक्षियों का 31360 पदों पर चयन होना था। याचीगण ने ओबीसी कोटे के तहत आवेदन किया। लिखित परीक्षा, दस्तावेज सत्यापन आदि में वह सफल रहीं। ओबीसी कोटे की कट ऑफ मेरिट 182.3272 थी जिसमें याचीगण सफल थी। अंतिम चरण में शारीरिक दक्षता परीक्षा होनी थी। बोर्ड ने विज्ञापन की शर्त के अनुसार पहले कुल पदों के सापेक्ष ढाई गुना अभ्यर्थियों को मेरिट के हिसाब से चयन हेतु बुलाया था।

शारीरिक दक्षता परीक्षा दिसंबर 2019 से जनवरी 20 के बीच हुई। आठ जनवरी 20 को बोर्ड ने एक विज्ञप्ति जारी की कि योग्य महिला अभ्यर्थियों के न मिलने के कारण अतिरिक्त अभ्यर्थियों को बुलाया जा रहा है। इसके बाद कट ऑफ मेरिट नीचे गिरा कर 167.3889 कर दी गई। दो मार्च 2020 को अंतिम चयन परिणाम जारी हुआ जिसमें याचीगण का चयन नहीं हुआ। याचीगण का कहना था कि जब वह इससे ऊपर की कट ऑफ मेरिट में चयनित थी तो मेरिट नीचे लाने के बाद उनको किस प्रकार से चयन में बाहर कर दिया गया। यह भी कहा गया कि चयन सूची में बहुत सी ऐसी अभ्यर्थियों को चयनित किया गया है जिनके पास अप्रैल से दिसंबर 18 के बीच का ओबीसी जाति प्रमाणपत्र नहीं है। कोर्ट ने मामले को विचारणीय मानते हुए जानकारी तलब की है। 

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