फर्जी दस्तावेज के आधार पर अपने बच्चों को आरटीई के अंतर्गत प्रवेश दिलाने वाले 19 अभिभावकों के खिलाफ नागपुर के सीताबाड़ी पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है। शिक्षा अधिकार कानून (RTE) के अंतर्गत बच्चों को स्कूल में प्रवेश दिलाने के लिए कुछ लोगों ने फर्जी दस्तावेज का उपयोग किया है। शिक्षक विभाग की जांच में सत्यता सामने आने पर 19 अभिभावकों पर मामला दर्ज किया गया है। इस मामले को गंभीरता से लेकर सदर पुलिस ने भी दो गार्जियंस के खिलाफ अपराध दर्ज कर एक को गिरफ्तार किया है। पुलिस संपूर्ण मामले के मास्टरमाइंड की तलाश कर रही है।
फर्जी दस्तावेज तैयार करने वाला आरोपी फरार
नामी स्कूलों में दाखिला लेने के लिए कई लोगों ने प्रवेश के लिए फर्जी इनकम सर्टिफिकेट, कास्ट सर्टिफिकेट और एड्रेस प्रूफ जमा किए थे, लेकिन असल में उनका निवास स्थान वहां था ही नहीं, फर्जी किराए पत्र के जरिए आवेदन किया गया था। आरटीई प्रवेश प्रक्रिया के दौरान शपथ पत्र दिया था कि सभी दस्तावेज वेध हैं। मामले में शिक्षण अधिकारी की शिकायत पर पुलिस ने केस दर्ज कर खोजबीन शुरू की। जिन अभिभावकों के खिलाफ मामला दर्ज किया है उन्होंने अलग-अलग नामी स्कूलों में अपने बच्चों को नर्सरी में दाखिल करने के लिए फर्जी दस्तावेज दिए थे। हालांकि, फर्जी दस्तावेज तैयार करने वाला आरोपी शाहिद शरीफ अभी पुलिस की पकड़ से बाहर है। पुलिस ने उसके कार्यालय को सील कर दिया है और उसकी तलाश जारी है।
आर्थिक कमजोर परिवार के बच्चों के लिए शुरू की गई है ये प्रक्रिया
आर्थिक कमजोर अभिभावक अपने बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ा सकें, इसके लिए राज्य शासन ने RTE के अंतर्गत स्कूलों में प्रवेश प्रक्रिया शुरू की है। इसके लिए विद्यार्थी का आधार कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र और अभिभावकों की आय का प्रमाण पत्र देना पड़ता है। जानकारी दे दें कि आरटीई प्रवेश प्रक्रिया में स्कूल आवंटित होने पर दस्तावेज पड़ताल समिति सभी दस्तावेजों को पडताल के बाद स्कूल में प्रवेश निश्चित करती है।
आरोपियों की बढ़ सकती है संख्या- पुलिस
नागपुर की सीताबाड़ी पुलिस ने मामले की जांच के लिए एक विशेष टीम का गठन किया है। स्पेशल टीम फर्जी दस्तावेज देने वाले अभिभावकों की तलाश कर रही है। पुलिस का मानना है कि इस मामले में आरोपियों की संख्या बढ़ सकती है। आरटीई प्रवेश के लिए बोगस दस्तावेज प्रस्तुत किए जाने के खुलासे के बाद आरोपी के नाम सामने आते ही अधिकांश पालक भूमिगत हो गए हैं। इनमें से कुछ अभिभावकों के मोबाइल नंबर गलत हैं, जबकि कुछ अभिभावकों ने अपने मोबाइल स्विच ऑफ कर दिए हैं।
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