नई दिल्ली। कोरोना संकट काल के दौरान भारतीय शिक्षा क्षेत्र में आई समस्याओं और उपलब्ध अवसरों के बारे में चर्चा के लिए एक एजुकेशन लीडर्स कनफ्लुएंस 2020 का आयोजन किया गया। यह आयोजन देश के विभिन्न हिस्सों में ऑनलाइन शिक्षा प्रदान कर रही संस्था, प्रथम टेस्ट प्रेप द्वारा किया गया। कोरोना संकट काल के दौरान ऑनलाइन शिक्षा, शिक्षा की गुणवत्ता और इसकी आवश्यकता एवं पारंपरिक शिक्षा प्रणाली पर मंथन के लिए दिल्ली के टॉप स्कूलों समेत कई विदेशी स्कूलों के प्रधानाचार्य भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए।
प्रथम टेस्ट प्रेप के प्रबंध निदेशक, अंकित कपूर ने कहा, "भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा एजुकेशन सिस्टम है, जो दूसरे स्थान पर आने की कगार पर है। बावजूद इसके इसे विशेषकर स्कूल स्तर की शिक्षा में वैचारिक नेतृत्व की कमी का सामना करना पड़ रहा है। नीति निर्माण, अनुकूलन और कार्यान्वयन के बीच के अंतर को लेकर हम भारतीय शिक्षा के असल मुद्दों और दृष्टिकोण को हाइलाइट करने के लिए एक उचित मंच प्रदान करने का उद्देश्य रखते हैं।''भारत में अध्ययन की प्रक्रिया लगातार बदल रही है। यह अब डिजिटल की तरफ कदम बढ़ा रहा है। यह बदलाव न सिर्फ भारत में बल्कि पूरे विश्व में देखने को मिल रहा है।
न्यू एरा पब्लिक स्कूल की प्रधानाचार्या वन्दना चावला ने कहा, "जिस तेजी से टेक्नोलॉजी का विकास हो रहा है, उस हिसाब से यह शिक्षा पाठ्यक्रम से हमेशा आगे रहेगा। हमें लगातार सुधार के साथ यह सीखने की जरूरत है कि "क्या पढ़ाया जा रहा है और वक्त की मांग क्या है" के बीच के अन्तर को कैसे कम किया जा सकता है। कोरोना काल में अचानक आए बदलावों ने हमें एहसास कराया कि यह स्थिति आसानी से नहीं ठीक होने वाली है इसलिए जो वक्त के अनुसार बदलना जानता है, वही आगे बढ़ सकता है।"
एचआरडीसी के दिल्ली पब्लिक स्कूल सोसाइटी की एक्जीक्युटिव डायरेक्टर वनिता सेहगल ने कहा, "पारंपरिक और मॉडर्न शिक्षा का मिश्रण, हमारे छात्रों को नई चुनौतियों का सामना करना और दुनिया को जीतना सिखाएगा। इसलिए हमारे लिए इसे समझना और दोनों के बीच संतुलन बनाए रखना बेहद जरूरी है, जो छात्रों को भविष्य के लिए तैयार करता है।"
इंडियन एजुकेशन स्कूल कुवैत के प्रधानाचार्य, टी. प्रेमकुमार ने बताया कि, "मिश्रित शिक्षा मुझे यह समझाने में सहायक रही कि पूरी दुनिया एक कक्षा है। शिक्षा स्कूल या विश्वविद्यालय तक सीमित नहीं है। प्रथम टेस्ट प्रेप ने इस महामारी के दौरान ऑनलाइन कक्षाएं लगाईं, जिसमें न तो गुणवत्ता की कोई कमी रही और न ही जानकारी की। सभी सत्र बेहद इंटरेक्टिव थे और इसके शिक्षकों ने ऑफलाइन शिक्षा को ऑनलाइन में बदलकर पूरी संरचना में सुधार किया है। यह न केवल छात्रों के लिए बल्कि शिक्षकों के लिए भी समान रूप से फायदेमंद रहा।"
इस चर्चा में विभिन्न स्कूलों के प्रख्यात प्रधानाचार्यों का समूह शामिल रहा। यह लाइव सेशन सौरभ नन्दा, अंतरराष्ट्रीय शिक्षक द्वारा संचालित किया गया। सौरभ नन्दा छात्र काउंसलिंग और मेंटरोरिंग का अनुभव रखते हैं। यह सत्र मुख्य रूप से "भारतीय स्कूलों में मिश्रित अध्यन का भविष्य" नाम के विषय पर केंद्रित था।
गौरतलब है कि भारत फेस-टू-फेस लनिर्ंग का इतिहास रखता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इतने पुराने कॉन्सेप्ट में बदलाव करना आसान नहीं है। यह अंतर बढ़ता जा रहा है। यह एक बड़ी चिंता का विषय है, इसलिए इस सत्र में कई ऐसे मुद्दों पर विस्तार में चर्चा की गई।