चंडीगढ़: पंजाब विश्वविद्यालय ने बताया, ''हम अंडरग्रेजुएट (यूजी) और पोस्टग्रेजुएट (पीजी) पाठ्यक्रमों के लिए 17 सितंबर को ऑनलाइन परीक्षाएं आयोजित करेंगे।'' जानकारी के अनुसार अंडर ग्रेजुएट लेवल पर एग्जाम सुबह से दोपहर एक बजे तक होगा, जबकि पोस्ट ग्रेजुएट लेबल का पेपर 10 बजे से दो बजे तक होगा। पेपर आधा घंटा पहले आएगा, दो घंटे में पेपर को पूरा करना और और आंसरशीट को वापिस भेजना होगा। प्राइवेट और डिस्टेंस एजुकेशन वाले स्टूडेंट्स के लिए हर शहर में चार से पांच सेंटर होंगे। पेपर के दौरान कंट्रोलर ऑफ एग्जामिनेशन के ऑफिस से एक विशेष कमेटी बनेगी जो कि एग्जाम में आने वाले समस्या का तुरंत समाधान करेगी। कॉलेज के प्रिंसिपल और अधिकारियों को नोडल ऑफिसर की जिम्मेदारी सौंपी जाएगा।
शिक्षक दिवस पर दिल्ली विश्वविद्यालय में शिक्षकों का प्रदर्शन
शिक्षक दिवस के मौके पर दिल्ली विश्वविद्यालय में शिक्षकों ने वेतन न मिलने पर अपना विरोध दर्ज कराया। विरोध दर्ज कराने के लिए दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन के सदस्य दिल्ली विश्वविद्यालय नॉर्थ कैंपस में एकत्र हुए। इस दौरान पुलिस ने कई शिक्षकों को हिरासत में ले लिया और बाद में सभी को छोड़ दिया।
डूटा ने कहा, "दिल्ली विश्वविद्यालय के 12 कॉलेजों के कर्मचारियों को बीते 5 महीने से वेतन नहीं मिला है। यह सभी कॉलेज जो दिल्ली सरकार द्वारा 100 प्रतिशत वित्त पोषित हैं। पांच महीने से वेतन के बिना 2000 से अधिक शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारी और उनके परिवार काफी तनाव में हैं। दिल्ली सरकार के गैर-जिम्मेदार और अड़ियल रवैये के कारण वे इस स्थिति का सामना कर रहे हैं। "
डूटा अध्यक्ष राजीव रे की अध्यक्षता में प्रदर्शन कर रहे दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने कहा, "अनुदान जारी करने में अयोग्य और देरी का संस्थानों पर व्यापक प्रभाव पड़ा है। यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है, कॉलेजों के कर्मचारी स्वास्थ्य और आजीविका के मुद्दों से जूझ रहे हैं।"
डूटा ने कहा, "हम दिल्ली सरकार को याद दिलाना चाहते हैं कि, डीयू के 12 कॉलेज देश के सर्वश्रेष्ठ कॉलेजों में से हैं और शिक्षक, छात्र और कर्मचारी इन प्रमुख संस्थानों के इस विलक्षण विनाश को बर्दाश्त नहीं करेंगे।"
डूटा अध्यक्ष राजीव रे आधिकारिक वक्तव्य जारी करते हुए कहा, "यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि दिल्ली सरकार ने विश्वविद्यालय के साथ अपने मतभेदों को सुलझाने के लिए इस तरह की कर्मचारी विरोधी रणनीति का सहारा लिया है। गवर्नमेंट बॉडीज का गठन न होने, फंडों की कमी, कुछ कॉलेजों में पूछताछ और अब इन कॉलेजों पर भ्रष्टाचार के आरोपों के बहाने अनुदान को रोक दिया गया। इसके अलावा, इस तरह से कर्मचारियों को दंडित करना समझ से बाहर है, क्योंकि कर्मचारी किसी भी तरह से उपरोक्त किसी के लिए जिम्मेदार नहीं हैं।"