नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय में एक व्यक्ति ने याचिका दायर कर आरोप लगाया है कि जेईई एडवांस्ड 2020 परीक्षा (JEE Advanced 2020 Exam) के दौरान एक केंद्र पर पारदर्शी कलम और पासपोर्ट साइज फोटो नहीं लाने की वजह से उनके पुत्र का उत्पीड़न किया और उन्होंने अपने बेटे के लिए यह परीक्षा फिर से आयोजित करने के लिए अधिकारियों को निर्देश देने का अनुरोध किया है. इस याचिका पर अदालत ने शिक्षा मंत्रालय से जवाब मांगा है.
व्यक्ति ने दावा किया है कि फोटो लाने जैसी कोई शर्त नहीं थी और उनके बेटे को 45 मिनट तक परेशान किया गया और उसके बाद उसे परीक्षा केंद्र में जाने की अनुमति दी गई. इस वजह से उसके लिए घबराहट वाली स्थिति बन गई. न्यायमूर्ति जयंत नाथ ने मंत्रालय, जेईई एडवांस्ड 2020 के आयोजक अध्यक्ष को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है और मामले को आगे की सुनवाई के वास्ते सात अक्टूबर के लिए सूचीबद्ध कर दिय है. याचिकाकर्ता पवन कुमार सिंह ने याचिका के लंबित रहने तक परिणामों की घोषणा पर भी रोक लगाने का आग्रह किया था.
अदालत ने अपने एक अक्टूबर के आदेश में कहा था कि इस चरण में जेईई एडवांस्ड 2020 परीक्षा का परिणाम रोकना मुमकिन नहीं है. यह परीक्षा हजारों विद्यार्थियों ने दी है. अदालत ने स्थगन आवेदन पर अधिकारियों से जवाब तलब किया. जेईई (एडवांस्ड) के परिणाम सोमवार सुबह घोषित कर दिए गए. सिंह की ओर से पेश हुए वकील मुकेश मोहन गोयल एवं सचिन उपाध्याय ने कहा कि उनके मुवक्किल का बेटा एक मेधावी छात्र है और उसने जेईई-मेंस 2020 और एफआईआईटी जईई एआईटीएस परीक्षाओं में भी अच्छी रैंक हासिल की है.
उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता की शिकायत यह है कि एक केंद्र पर उनके बेटे को पासपोर्ट साइज फोटो नहीं लाने की वजह से अवैध तरीके से प्रताड़ित किया गया और परीक्षा केंद्र में प्रवेश नहीं करने दिया गया. हालांकि फोटो लाने की कोई शर्त नहीं थी. याचिका में दावा किया गया है कि छात्र को पारदर्शी कलम नहीं लाने की वजह से फिर बाहर कर दिया गया. छात्र को 45 मिनट के बाद परीक्षा केंद्र में प्रवेश कर दिया गया. याचिका में कहा गया है कि यह न जरूरी था और न ही शर्त में यह कहा गया था. इसके विपरीत केंद्र को कलम उपलब्ध करानी चाहिए थी.