दिल्ली यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग ने शनिवार को बीए और बीकॉम प्रथम वर्ष की परीक्षा रद्द कर दी, वो जब छात्र पेपर लिख रहे थे। कल शनिवार यानी 4 मार्च को दिल्ली यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग के पेपर हो रहे थे और छात्र परीक्षा दे रहे थे, इसी बीच शिक्षकों ने उन्हें अपनी उत्तर पुस्तिकाएं जमा करने को कहा, जिसके बाद छात्रों में हड़कंप-सा मच गया। छात्रों को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। छात्रों ने बताया कि यूनिवर्सिटी के अधिकारियों ने कहा कि रविवार को होने वाली एसओएल परीक्षा को भी रद्द कर दिया गया है, लेकिन बाकी की तारीखें वही रहेंगी, इन दोनों विषयों की तारीखें जल्द ही छात्रों को बता दी जाएंगी।
जानें पूरा मामला
दरअसल, शनिवार को बीए प्रोग्राम के छात्रों के लिए परीक्षा का पहला दिन था और इसे दो पालियों में सुबह और शाम आयोजित किया जाना था। यूनिवर्सिटी के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि एक "गलती" के कारण, सुबह पाली की परीक्षा रद्द करनी पड़ी। परीक्षा रद्द होते ही केंद्रों के गेट के बाहर रद्द करने का नोटिस लगा दिया गया। दिल्ली विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग में शनिवार को एक परीक्षा अचानक रद्द कर दी गई, जिससे छात्रों में भ्रम की स्थिति पैदा हो गई। बीए प्रोग्राम की परीक्षा शनिवार से शुरू होनी थी। एक छात्र संगठन ने इस संबंध में एक बयान में जारी किया। क्रांतिकारी युवा संगठन (केवाईएस) ने कहा, "कुछ छात्रों ने उत्तर लिखना भी शुरू कर दिया था, जब उनकी उत्तर पुस्तिकाएं ले ली गईं और उन्हें बताया गया कि उनकी परीक्षा रद्द कर दी गई है। बाद में परीक्षा केंद्र के गेट पर नोटिस लगा दिए गए।"
ज्वाइंट रजिस्ट्रार द्वारा साइन की गई नोटिस में कहा गया है, "यह सूचित किया जाता है कि स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग के छात्रों की आज यानी 4 मार्च, 2023 को सुबह और शाम दोनों सत्रों में होने वाली परीक्षा अपरिहार्य परिस्थितियों के कारण रद्द कर दी गई है। परीक्षा की अगली तारीख बाद में घोषित की जाएगी। आपको हुई असुविधा के लिए अत्यधिक खेद है।"
छात्रों ने दिया धरना
छात्रों ने एसओएल सेंटर पर धरना दिया। पुलिस को भी बुलाया गया। उन्होंने कला संकाय में एक रैली की और बाद में डीयू के कुलपति योगेश सिंह को संबोधित एक ज्ञापन सौंपा। केवाईएस द्वारा जारी एक बयान में कहा गया, "यह सरासर कुप्रबंधन और अराजकता को उजागर करता है जो एसओएल और डीयू प्रशासन की पहचान बन गया है जो लाखों छात्रों के भविष्य के बारे में बिल्कुल भी चिंतित नहीं है। जो छात्र अपने माता-पिता और रिश्तेदारों के साथ दूर से आए थे, वे यह जानकर चौंक गए कि उनका अंतिम क्षण में परीक्षा रद्द कर दी गई थी। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि एसओएल में छात्र सबसे गरीब परिवारों से आते हैं, लेकिन उन्हें अच्छी गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करने के प्रयास करने के बजाय, डीयू और एसओएल अधिकारियों ने इसे बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।" छात्र संगठन ने इस मुद्दे को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के सामने उठाने का भी फैसला किया है। एसओएल के कार्यवाहक प्राचार्य यूएस पांडे ने कहा, "एडमिट कार्ड में कुछ तकनीकी समस्या थी, जिसके कारण विश्वविद्यालय ने रद्द करना ही बेहतर समझा।"