नई दिल्ली| दिल्ली विश्वविद्यालय में स्नातक पाठ्यक्रमों का दाखिला इस बार मेरिट के आधार पर होगा। विश्वविद्यालय प्रशासन के मुताबिक फिलहाल प्रवेश परीक्षाओं को विकल्प के रूप में नहीं रखा गया है। नई नीति के तहत देश के सभी 41 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में स्नातक पाठ्यक्रमों में दाखिला सेंट्रल यूनिवर्सिटीज कॉमन एंट्रेंस टेस्ट के जरिए किया जाना था। इन केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश 12वीं के अंक के आधार पर न होकर प्रवेश परीक्षा के आधार दिया जाना तय हुआ था। हालांकि अब 12वीं की परीक्षा रद्द होने और कोरोना संक्रमण के मौजूदा हालात को देखते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय ने यह व्यवस्था अपनाने का निर्णय लिया है।
दिल्ली विश्वविद्यालय के कार्यकारी कुलपति पीसी जोशी ने आईएएनएस से कहा इस साल सेंट्रल यूनिवर्सिटीज कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (सीयूसीईटी) लागू होने की संभावना नहीं है। ऐसी स्थिति में विश्वविद्यालय की कट-ऑफ घोषित करते समय सीबीएसई मानदंड का पालन किया जाएगा।
डीयू के कार्यवाहक कुलपति पीसी जोशी ने कहा, यह निर्णय अभूतपूर्व कोविड स्थिति को देखते हुए लिया गया है। हम भारत सरकार के साथ हैं। हमारे प्रवेश मानदंड सख्ती से योग्यता के आधार पर होंगे। हम सीबीएसई बोर्ड की कसौटी का सम्मान करेंगे।रद्द करने की घोषणा करते हुए, केंद्र सरकार ने कहा कि कक्षा 12 के परिणाम एक अच्छी तरह से परिभाषित उद्देश्य मानदंड के अनुसार संकलित किए जाएंगे।
दिल्ली विश्वविद्यालय ने आधिकारिक तौर पर कहा कि 12वीं बोर्ड की परीक्षाओं को लेकर सीबीएसई जो भी फॉर्मूला अपनाएगा हम उसी के आधार पर कट-ऑफ घोषित करेंगे। हर साल, डीयू अधिकांश पाठ्यक्रमों में कट-ऑफ के माध्यम से स्नातक प्रवेश आयोजित करता है, जिसकी गणना काफी हद तक कक्षा 12 के अंकों के आधार पर की जाती है।
गौरतलब है कि 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाएं रद्द की जा चुकी हैं। छात्रों अभिभावकों व शिक्षाविदों ने ने इस फैसले का स्वागत किया है। हालांकि 12वीं के छात्रों के रिजल्ट और मूल्यांकन को लेकर प्रश्न अभी भी बाकी हैं। देशभर के कई प्रसिद्ध शिक्षण संस्थानों व शिक्षाविद मूल्यांकन प्रक्रिया को एक समान व पारदर्शी बनाने की अपील कर रहे हैं।
मंगलवार को 12वीं बोर्ड की परीक्षाएं रद्द किए जाने की घोषणा करने के साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सभी हितधारकों को छात्रों के प्रति संवेदनशीलता दिखाने की जरूरत है। पीएम ने अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि परिणाम अच्छी तरह से परिभाषित मानदंडों के अनुसार निष्पक्ष और समयबद्ध तरीके से तैयार किए जाएं।