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शिक्षा मंत्रालय ने स्कूल न जाने वाले बच्चों का पता लगाने के लिए ऑनलाइन मॉड्यूल शुरू किया

शिक्षा मंत्रालय (एमओई) ने स्कूल न जाने वाले बच्चों पर जानकारी संग्रहित करने के लिए शुक्रवार को ऑनलाइन मॉड्यूल शुरू किया जो छह से 14 आयु वर्ग के बच्चों के लिए उम्र के अनुकूल स्कूलों में प्रवेश को सुगम बनाएगा।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: June 11, 2021 21:13 IST
शिक्षा मंत्रालय ने स्कूल न जाने वाले बच्चों का पता लगाने के लिए ऑनलाइन मॉड्यूल शुरू किया- India TV Hindi
Image Source : PTI FILE PHOTO शिक्षा मंत्रालय ने स्कूल न जाने वाले बच्चों का पता लगाने के लिए ऑनलाइन मॉड्यूल शुरू किया

नयी दिल्ली। शिक्षा मंत्रालय (एमओई) ने स्कूल न जाने वाले बच्चों पर जानकारी संग्रहित करने के लिए शुक्रवार को ऑनलाइन मॉड्यूल शुरू किया जो छह से 14 आयु वर्ग के बच्चों के लिए उम्र के अनुकूल स्कूलों में प्रवेश को सुगम बनाएगा। मंत्रालय ने यह भी कहा कि 16 से 18 आयु वर्ग में स्कूल न जाने वाले बच्चों को 2021-22 सत्र में पहली बार आर्थिक मदद उपलब्ध कराई जाएगी ताकि वह मुक्त या दूरस्थ शिक्षा माध्यम से अपनी शिक्षा जारी रख पाएं।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने ट्वीट किया, “भारत के प्रत्येक विद्यार्थी का ख्याल रखना हमारी सरकार की शीर्ष प्राथमिकता है। इसी के अनुसार, स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने प्रत्येक राज्य या केंद्रशासित प्रदेश द्वारा चिह्नित स्कूल न जाने वाले बच्चों की जानकारी संग्रहित करने के लिए एक ऑनलाइन मॉड्यूल विकसित किया है और इन आंकड़ों को विशेष प्रशिक्षण केंद्रों के साथ प्रबंध पोर्टल पर व्यवस्थित किया जाएगा।”

उन्होंने कहा, “ स्कूल न जाने वाले चिह्नित प्रत्येक बच्चे की और विशेष प्रशिक्षण केंद्रों की जानकारी प्रखंड संसाधन समन्वय के तहत प्रखंड स्तर पर अपलोड की जानी चाहिए। तिमाही प्रगति रिपोर्ट और उपयोगकर्ता पुस्तिका पोर्टल पर साझा की गई है।” सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के शिक्षा सचिवों को लिखे गए एक पत्र में मंत्रालय ने स्कूल न जाने वाले बच्चों, विशेष प्रशिक्षण केंद्रों और उनकी प्रगति को जिलाधिकारी या डीएम द्वारा अधिकृत किसी उचित अधिकारी द्वारा प्रमाणित किया जाना चाहिए।

पत्र में कहा गया, “नियमित स्कूलों में छह से 14 आयु वर्ग में स्कूल न जाने वाले बच्चों के लिए उम्र के अनुकूल प्रवेश को सुगम बनाने के क्रम में ‘समग्र शिक्षा’ योजना में वित्तीय प्रावधान किए गए हैं ताकि स्कूलों में उन्हें मुख्यधारा में शामिल करने और शिक्षण में आए अंतर को पाटने के लिए विशेष प्रशिक्षण का प्रबंध किया जा सके।”

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