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क्यों आते हैं भूकंप, आखिर कैसे मापी जाती है इसकी तीव्रता? जानें यहां सबकुछ

Earthquakes- तुर्की और सीरिया में आज आए भूकंप ने भारी तबाई मचाई है। इस भूकंप ने सैकड़ों लोगों की जान ले ली है। आइए जानते हैं कि ये भूकंप कैसे आते हैं और इसकी तीव्रता कैसे मापी जाती है?

Written By: Shailendra Tiwari @@Shailendra_jour
Published : Feb 06, 2023 18:12 IST, Updated : Feb 06, 2023 18:39 IST
earthquakes
Image Source : INDIA TV भूकंप

सीरिया और तुर्की में आज बेहद खतरनाक भूकंप (earthquake) आया, जिसकी वजह से सैकड़ों लोगों की जान चली गई है। ये भूकंप स्थानीय समय के मुताबिक, सुबह 4:17 बजे आया। इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 7.8 मापी गई। यह भूकंप काफी विनाशकारी था। जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर जिओ साइंस के मुताबिक, भूकंप का केंद्र जमीन से 18 किलोमीटर नीचे था। न्यूज एजेंसी एपी के मुताबिक, दोनों देशों में भूकंप से मरने वालों की संख्या करीब 1300 पहुंच गई है और करीब 5,380 लोग घायल हो गए हैं। शाम को करीब 4 बजे फिर भूकंप आया। इन सब के बावजूद क्या आपके मन में भी सवाल उठ रहे कि भूंकप क्यों आते हैं, आखिर इसकी तीव्रता कैसे मापी जाती है? अगर हां तो आज हम आपको इसी की जानकारी देने जा रहे हैं।

क्यों आते हैं भूकंप?

आप में से ज्यादातर लोगों को पता होगा कि धरती के अंदर 7 प्लेट्स होती हैं। ये प्लेट्स हर वक्त घूमती रहती हैं। लेकिन कुछ ऐसी भी जगहें हैं, जहां पर ये प्लेट्स आपस में ज्यादा टकराती हैं। ऐसे जोन को फॉल्ट लाइन कहा जाता है। बार-बार टकराने के कारण प्लेट्स के कोने मुड़ जाते हैं। जिस कारण ज्यादा दबाव पड़ता है और प्लेट्स टूटने लगती हैं। इसके बाद धरती की एनर्जी बाहर रिलीज होने के लिए बाहर का रास्ता ढूंढने लगती है। एनर्जी या ऊर्जा के इस अचानक रिलीज से भूकंपीय तरंगें पैदा होती हैं जो जमीन को हिला देती हैं। भूकंप के दौरान और बाद में, चट्टान की प्लेटें या ब्लॉक हिलना शुरू कर देते हैं और वे तब तक हिलते रहते हैं जब तक वे फिर से अटक नहीं जाते। जमीन के नीचे वह स्थान जहां चट्टान सबसे पहले टूटती है, भूकंप का फोकस या हाइपोसेंटर कहलाता है। फोकस के ठीक ऊपर (जमीनी सतह पर) स्थान को भूकंप का केंद्र कहा जाता है।

कैसै होती है इसकी स्टडी?

जब भूकंप आते हैं तो सीस्मोलॉजिस्ट इससे होने वाले नुकसान को देखते हुए और सीस्मोमीटर का उपयोग कर भूकंप की स्टडी करते हैं। बता दें कि सीस्मोमीटर एक ऐसा उपकरण है, जो भूकंपीय तरंगों के कारण पृथ्वी की सतह के हिलने को रिकॉर्ड करता है। सिस्मोग्राफ शब्द आमतौर पर संयुक्त सीस्मोमीटर और रिकॉर्डिंग डिवाइस के लिए इस्तेमाल होता है।

भूकंप को मापने के कई तरीके हैं। अधिकांश पैमाने सिस्मोमीटर पर रिकॉर्ड किए गए भूकंपीय तरंगों के आयाम पर आधारित होते हैं। ये पैमाने भूकंप और रिकॉर्डिंग सिस्मोमीटर के बीच की दूरी के लिए होते हैं ताकि सही तीव्रता सही मापी जा सके। नीचे कुछ तरीके बताए जा रहे हैं

द रिचर स्केल (The Richter Scale)

रिक्टर स्केल पहला तरीका है, जो भूकंप आने पर ज्यादा इस्तेमाल की जाती है। रिक्टर स्केल, 1934 में चार्ल्स एफ रिक्टर द्वारा विकसित की गई थी। इसने एक खास तरह के सीस्मोमीटर पर रिकॉर्ड की गई सबसे बड़ी तरंग के आयाम व भूकंप और सीस्मोमीटर के बीच की दूरी के आधार पर एक फार्मूले का इस्तेमाल किया।

मोमेंट मैग्नीट्यूड स्केल (The Moment Magnitude Scale)

दुर्भाग्य से, कई पैमाने, जैसे कि रिक्टर स्केल, बड़ी तीव्रता वाले भूकंपों के लिए सही अनुमान नहीं दे पाते हैं। इसके लिए मोमेंट मैग्नीट्यूड स्केल, को प्राथमिकता दी जाती है, क्योंकि यह भूकंप के आकार की एक विस्तृत सीरीज पर काम करता है और पूरी दुनिया के स्तर पर लागू होता है। इससे हमें सही जानकारी मिल जाती है।

मर्केली स्केल (The Mercalli Scale)

ये भूकंप की ताकत को मापने का एक और तरीका है। इसमें भूकंप का अनुभव करने वाले लोगों से बात की जाती है और इसकी तीव्रता का अनुमान लगाने के लिए हुई क्षति की मात्रा का इस्तेमाल किया जाता है। Mercalli स्केल का आविष्कार 1902 में Giuseppe Mercalli द्वारा किया गया था और 1931 में हैरी वुड और फ्रैंक न्यूमैन द्वारा संशोधित किया गया था, जिसे अब संशोधित Mercalli तीव्रता स्केल (Modified Mercalli Intensity Scale) के रूप में जाना जाता है। 

 

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