नई दिल्ली| दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षक संगठन दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (डीटीए) ने दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित 28 कॉलेजों में जल्द से जल्द गवनिर्ंग बॉडी के सदस्यों के नाम भेजने की मांग की है। इन कॉलेजों की गवनिर्ंग बॉडी के एक्सटेंशन का कार्यकाल 13 जून 2021 को समाप्त हो रहा है।
कोरोना महामारी के चलते शैक्षिक व गैर-शैक्षिक पदों पर नियुक्ति न होने से इन कॉलेजों का कार्य प्रभावित हो रहा है। इन कॉलेजों में 20 ऐसे कॉलेज है जिनमें स्थायी प्रिंसिपल नहीं है। स्थायी प्रिंसिपलों के न होने से स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया रुकी हुई है। डीटीए ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया को पत्र लिखकर मांग की है कि इन कॉलेजों की गवनिर्ंग बॉडी के सदस्यों के नाम विश्वविद्यालय प्रशासन को भेजे जाएं।
दिल्ली सरकार के वित्त पोषित 28 कॉलेजों में 12 कॉलेजों को शत प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। शेष 16 कॉलेजों को सरकार की ओर से 5 फीसदी अनुदान दिया जाता है। इनमें से कई कॉलेजों में प्रिंसिपलों के पद खाली पड़े हुए हैं। डीटीए के प्रभारी व पूर्व विद्वत परिषद सदस्य डॉ हंसराज सुमन ने बताया है कि दिल्ली सरकार की ओर से कॉलेजों में बनने वाली गवनिर्ंग बॉडी के नामों को जल्द से जल्द दिल्ली विश्वविद्यालय को भेजा जाए ताकि समय पर दिल्ली सरकार अपने कॉलेजों में गवर्निग बॉडी बना सकें। यह नाम दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति को भिजवाए जाने हैं।
डॉ. सुमन ने कहा कि कार्यकारी परिषद की बैठक में इन नामों की संस्तुति कर कॉलेजों में गवनिर्ंग बॉडी बनाई जाएगी। उन्होंने बताया है कि पिछली बार भी कार्यकारी परिषद में नाम पास होने पर कॉलेजों में महीनों बाद गवनिर्ंग बॉडी बनी थी।
उन्होंने बताया है कि दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वाले कॉलेजों में लंबे समय से प्रिंसिपल पदों को नहीं भरा गया है। कुछ कॉलेजों में 5 साल से अधिक समय से कार्यवाहक ओएसडी प्रिंसिपल के रूप में अधिकारी कार्यकर रहें हैं। जबकि यूजीसी रेगुलेशन के अंतर्गत स्थायी प्रिंसिपल का कार्यकाल 5 साल का होता है। मगर ये प्रिंसिपल उससे ज्यादा समय तक अपने पदों पर बने हुए हैं। उनकी स्थायी नियुक्ति आज तक नहीं की गई। उन्होंने कहा कि गवनिर्ंग बॉडी होने पर इन कॉलेजों में प्रिंसिपल पदों पर नियुक्ति होंगी। अधिकांश कॉलेजों ने अपने यहां प्रिंसिपल पदों को भरने के लिए विज्ञापन निकाले जाने की तैयारी कर ली है।
डॉ. सुमन के अनुसार प्रिंसिपलों के पदों पर स्थायी नियुक्ति न होने से इन कॉलेजों में सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति भी नहीं हो पा रही है जबकि कुछ कॉलेजों में गैर शैक्षिक पदों पर नियुक्ति व पदोन्नति की जा रही है। इसी तरह से लंबे समय से प्रिंसिपल पदों पर नियुक्तियां ना होने से 20 से अधिक कॉलेजों के प्रिंसिपलों के पद खाली पड़े हुए हैं । इन कॉलेजों में सबसे ज्यादा दिल्ली सरकार के कॉलेज है जहां पिछले 14 महीने से दिल्ली सरकार की गवनिर्ंग बॉडी होते हुए उन्होंने इन पदों को भरने की कवायद शुरू नहीं की।