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DU: कोरोनाकाल में 12 टीचर्स को हटाने पर ओबीसी कमीशन ने मांगा जवाब

दिल्ली विश्वविद्यालय के विवेकानंद कॉलेज की प्रिंसिपल द्वारा कोरोना काल में 12 एडहॉक टीचर्स की नौकरी खत्म करने का मुद्दा राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग तक पहुंच गया है। आयोग के अवर सचिव जे. रविशंकर ने सोमवार को दिल्ली यूनिवर्सिटी के कुलपति और विवेकानंद कॉलेज की प्रिंसिपल से 12 एडहॉक टीचर्स की

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : May 11, 2021 11:16 IST
DU OBC commission seeks response on removal of 12 teachers...- India TV Hindi
Image Source : FILE DU OBC commission seeks response on removal of 12 teachers in the coronary

नई दिल्ली| दिल्ली विश्वविद्यालय के विवेकानंद कॉलेज की प्रिंसिपल द्वारा कोरोना काल में 12 एडहॉक टीचर्स की नौकरी खत्म करने का मुद्दा राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग तक पहुंच गया है। आयोग के अवर सचिव जे. रविशंकर ने सोमवार को दिल्ली यूनिवर्सिटी के कुलपति और विवेकानंद कॉलेज की प्रिंसिपल से 12 एडहॉक टीचर्स की नौकरी खत्म करने के संदर्भ में एक सप्ताह के अंदर जवाब देने को कहा है। इस विषय पर दिल्ली यूनिवर्सिटी एससी, एसटी ओबीसी टीचर्स फोरम ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को एक एक विशेष याचिका थी।

टीचर्स फोरम के चेयरमैन डॉ. कैलास प्रकाश सिंह व महासचिव डॉ. हंसराज सुमन ने बताया है कि फोरम की ओर से विवेकानंद कॉलेज के एडहॉक टीचर्स ने उन्हें पत्र लिखा था जिस पर फोरम ने यह याचिका दायर की थी।

आयोग के अवर सचिव ने दिल्ली यूनिवर्सिटी व विवेकानंद कॉलेज को लिखे पत्र में बताया है कि राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संविधान की धारा 338 बी के तहत बनाया गया है। इस धारा के तहत कहा गया है कि किसी की नौकरी या किसी तरह से नुकसान पहुंचाया जाएगा तो यह आयोग उसको सुरक्षा प्रदान करेगा। साथ ही शिकायतकर्त्ता की सुरक्षा के लिए आयोग को सिविल कोर्ट के अनुरूप इसको पावर दी गई है।

डॉ. सिंह ने बताया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय व विवेकानंद कॉलेज को सोमवार को भेजे गए आयोग के द्वारा पत्र में आवश्यक कार्यवाही करते हुए 7 दिन के अंदर जवाब मांगा गया है। साथ ही इस आदेश के तहत 12 एडहॉक टीचर्स के मामले पर दिल्ली विश्वविद्यालय व कॉलेज अपनी स्पष्ट रिपोर्ट राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को जमा नहीं कर देता उस पर स्टे लगा दिया है ।

टीचर्स फोरम ने आयोग के चेयरमैन के संज्ञान में विवेकानंद कॉलेज की प्रिंसिपल द्वारा कोरोना काल में विभिन्न विभागों में कार्यरत्त 12 तदर्थ शिक्षकों की नौकरी खत्म किए जाने की ओर ध्यान आकर्षित कराया था। उन्हें बताया गया था कि इन 12 तदर्थ शिक्षकों में 5 तदर्थ शिक्षक कोरोना महामारी से पीड़ित हैं। इनका परिवार आर्थिक संकट से जूझ रहा है, गलत तरीके से नौकरी खत्म कर दिए जाने से इनकी हालत और खराब हो गई है। ये शिक्षक प्रिंसिपल व कॉलेज के चेयरमैन से गुहार लगा चुके हैं। लेकिन कहीं भी इनकी सुनवाई नहीं हुई। इनमें 3 एससी और 4 ओबीसी समुदाय के शिक्षक हैं। ये शिक्षक लम्बे समय से कॉलेज में पढ़ा रहे हैं, कॉलेज में वर्कलोड होने के बावजूद बिना किसी कारण के इनकी नौकरी खत्म कर दी गई है।

फोरम के चेयरमैन ने उन्हें बताया था कि विवेकानंद कॉलेज में लंबे समय से विभिन्न विभागों में जैसे-कॉमर्स02, इकोनॉमिक्स01, इंग्लिश03, कम्प्यूटर साइंस02, संस्कृत01, फूड टेक्नोलॉजी01, मैथमेटिक्स 01, इन्वायरमेंट साइंस 01 में एडहॉक टीचर्स के रूप में कार्यरत्त थे।

इन 12 तदर्थ शिक्षकों का कार्यकाल 29 अप्रैल 2021 तक था। 30 अप्रैल को इन्हें फिर से पुर्ननियुक्ति पत्र (रिज्वाईनिंग लेटर) दिया जाना था लेकिन विवेकानंद कॉलेज की प्रिंसिपल ने 29 अप्रैल को ही इन 12 तदर्थ शिक्षकों की नौकरी खत्म कर दी, साथ ही यह निर्देश भी जारी कर दिया कि इनका बकाया वेतन तभी दिया जाए जब ये कॉलेज से क्लियरेंस ले ले।

शिक्षकों के मुताबिक 5 दिसंबर 2019 का शिक्षा मंत्रालय का सकरुलर है कि जब तक स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती तब तक किसी भी तदर्थ शिक्षक को उनके पदों से नहीं हटाया जाए। 12 एडहॉक टीचर्स को इस कोरोना काल में हटाए जाने पर आयोग ने दिल्ली यूनिवर्सिटी व कॉलेज से जवाब मांगा है।

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