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DU ने पढ़ाने को लेकर जारी की नई गाइडलाइन, हो रहा जमकर विरोध

दिल्ली यूनिवर्सिटी के कुलसचिव ने सभी डीन, विभागों के अध्यक्षों और कॉलेजों के प्राचार्यो को जारी किया है। यूनिवर्सिटी प्रशासन द्वारा भेजी गई नोटिफिकेशन के मुताबिक, क्लास में छात्रों की संख्या और उसका साइज तय किया गया है। नोटिफिकेशन जारी होते ही यूनिवर्सिटी में जमकर विरोध शुरू हो गए है।

Edited By: Shailendra Tiwari @@Shailendra_jour
Published : Nov 19, 2022 17:01 IST, Updated : Nov 19, 2022 17:01 IST
DU ने पढ़ाने को लेकर जारी की नई गाइडलाइन
Image Source : FILE PHOTO (PTI) DU ने पढ़ाने को लेकर जारी की नई गाइडलाइन

दिल्ली यूनिवर्सिटी के एक नोटिफिकेशन जारी किया है। नोटिफिकेशन जारी होते ही यूनिवर्सिटी में विरोध के सुर देखने को मिल रहे हैं। ये नोटिफिकेशन कुलसचिव ने सभी डीन, विभागों के अध्यक्षों और कॉलेजों के प्राचार्यो को जारी किया है। इसमें ग्रेजुऐशन और पोस्टग्रेजुऐशन कोर्सों के लिए नई गाइडलाइन लागू करने को कहा गया है। बता दें कि नई गाइडलाइंस में लेक्कचर, ट्यूटोरियल और लैब प्रेक्टिकल के लिए छात्रों के ग्रुप के आकार को लेकर जानकारी दी गई है।

यूनिवर्सिटी प्रशासन द्वारा भेजी गई नोटिफिकेशन के मुताबिक, क्लास में छात्रों की संख्या और उसका साइज तय किया गया है। ग्रेजुऐशन स्तर पर 60 छात्रों पर 1 लेक्चरर, 30 छात्रों की संख्या ट्यूटोरियल और प्रैक्टिकल 25 छात्रों की संख्या तय की गई है। इसी तरह पोस्टग्रेजुऐशन स्तर पर 50 छात्र पर 1 लेक्चरर, ट्यूटोरियल के लिए 25 छात्रों की संख्या और प्रौक्टिकल के लिए 15 से 20 छात्रों की संख्या होनी तय हुई है।

लैब में होगी 12 छात्रों की संख्या

दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर हंसराज सुमन का कहना है कि 2019 में यूनिवर्सिटी द्वारा अपनाए गए LOCF कोर्स में स्पष्ट रूप से 8-10 छात्रों को ट्यूटोरियल समूहों के रूप में रखा गया है ताकि विभिन्न प्रकार के छात्रों की अलग-अलग जरूरतों को पूरा किया जा सके। इसी तरह, लैब समूह में 12 छात्रों की संख्या में होना तय किया गया। प्रोफेसर ने आगे कहा कि डीयू प्रशासन इन मानदंडों को कम क्यों करना चाहता है जो कई दशकों के एकेडमिक कामकाज के जरिए सही सिद्ध हुए हैं।

कई प्रोफेसर और शिक्षक संगठन कर रहे विरोध

दिल्ली यूनिवर्सिटी के इस नए कदम का कई प्रोफेसर और शिक्षक संगठन विरोध कर रहे हैं। फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस ने यूनिवर्सिटी प्रशासन द्वारा शिक्षकों के अध्यापन संबंधी जारी नोटिफिकेशन को हास्यास्पद और टीचर विरोधी बताया है। उन्होंने बताया है कि नई गाइडलाइन भविष्य में 50 फीसदी शिक्षकों का वर्कलोड कम कर देगी। क्योंकि यह LOCF कोर्स वर्क के हिस्से के रूप में एकेडमिक काउंसिल द्वारा अपनाए गए मानदंडों का पूरी तरह से उल्लंघन करती है।

टीचर और टींचिंग दोनों को करेगी परिभाषित

यह नोटिफिकेशन टीचर और टींचिंग दोनों के वातावरण को फिर से परिभाषित करेगी। टीचरों का आरोप है कि इसे वैधानिक निकायों (Statutory bodies) में बिना किसी विचार-विमर्श के जारी किया गया है। फोरम के अध्यक्ष प्रोफेसर हंसराज सुमन ने कुलपति से मांग की है कि 22 नवंबर को एकेडमिक काउंसिल की हो रही बैठक में इस नोटिफिकेशन पर एकेडमिक काउंसिल में चर्चा कराएं और सदस्यों से पास होने के बाद ही इसे लागू करें।

एडहॉक प्रोफेसरों की करना चाहती है छंटनी

उनका कहना है कि नई नीति पूरी तरह से शिक्षक के खिलाफ है, जो वर्तमान में लगे एडहॉक प्रोफेसरों की छंटनी करना चाहती है। उन्होंने 30 छात्रों का एक ट्यूटोरियल साइज एक मजाक बताया है। यह टींचिंग-लर्निंग प्रोसेस के एजुकेशनल और वर्कलोड दोनों के संदर्भ में एक ट्यूटोरियल सिस्टम होने के आधार को पूरी तरह से कमजोर करता है।

डॉ. सुमन का यह भी कहना है कि यह नोटिफिकेशन इस साल लागू किए गए 4 वर्षीय ग्रेजुऐशन कार्यक्रम के चौथे वर्ष के लिए शिक्षकों को बाहर का रास्ता दिखाने की तरह है। यह पूरी तरह से यूनिवर्सिटी की एक निराशाजनक व्यवहार की तरह दिखता है। यह सब इसलिए किया जा रहा है क्योंकि अंडरग्रेजुएट करिकुलम फ्रेमवर्क (यूजीसीएफ) संरचना को लागू करने की कोशिश है लेकिन वह यूनिवर्सिटी और कॉलेजों को अतिरिक्त फंडिंग और टींचिंग पदों पर चुप है।

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