हम सभी को पहाड़ों पर जाना अच्छा लगता है। वहां के वातावरण में हमारे मन को शांति मिलती है। आप कई पहाड़ों पर गए होंगे, घूमें होंगे लेकिन शायद ही आप हिमालय पर घूमें हो। बचपन से ही हम सभी ने हिमालय के बारे में न जानें कितने ही किस्से कहानियां सुनी होंगी। हमारे दादा-दादी ने हमें बताया था कि हिमालय हमारे देश का मुकुट यानी क्राउन है। बता दें कि हिमालय देश में स्थित प्राचीन पर्वत श्रृंखला है। इसके कई नाम हैं, जैसे- पर्वतराज, पर्वतों का राजा। हिमालय को लेकर कई लोगों के मन में प्रश्न होता है कि इस पर्वत के ऊपर प्लेन क्यों नहीं उड़ाए जाते हैं?
बता दें कि हिमालय की पर्वत श्रृंखला को हमारे वेद-पुराणों ने पवित्र बताया है। वे पर्वत दूर से जितना खूबसूरत है, इसकी चोटियां उतनी ही खतरनाक। आज तक इस पर्वत के ऊपर से कोई भी पैसेंजर प्लेन नहीं उड़ा है। हिमालय के ऊपर प्लेन न उड़ने के कई वैज्ञानिक और वाजिब कारण है, जो हम आपको यहां बताने वाले हैं...
हिमालय का मौसम
गौरतलब है कि हिमालय का मौसम हर वक्त एक जैसा नहीं रहता ये निरंतर बदलता रहता है। बदलता मौसम किसी भी हवाई जहाज के लिए खतरनाक होता है। बता दें कि प्लेन में यात्रियों के हिसाब से एयर प्रेशर रखा जाता है, पर हिमालय का मौसम हर समय अनिश्चित रहता है, जो यात्रियों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इसलिए हिमालय के ऊपर से कोई विमान नहीं उड़ते।
नेविगेशन की दिक्कत
बता दें कि हिमालय क्षेत्र में नेविगेशन की भी सुविधा उपलब्ध नहीं है। ऐसे में आप किसी इमरजेंसी के दौरान प्लेन एयर कंट्रोल से संपर्क नहीं कर सकेंगे। जानकारी के लिए बता दें कि किसी भी इमरजेंसी के दौरान प्लेन को नजदीकी एयरपोर्ट पर उतारना होता है, लेकिन हिमालय के पास दूर-दूर तक कोई एयरपोर्ट नहीं है। ऐसे में ये भी एक बड़ा कारण है हिमालय के ऊपर से प्लेन नहीं उड़ने का।
ऊंचाई की समस्या
हिमालय की ऊंचाई करीब 29 हजार फीट है और एक विमान जो औसतन 30 से 35 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भरते हैं, ऐसे में हिमालय के ऊपर उड़ान भरना खतरनाक साबित हो सकता है। गौरतलब है कि इमरजेंसी के वक्त प्लेन में सिर्फ 20-25 मिनट की ही ऑक्सीजन होती है और इमरजेंसी में प्लेन महज 8-10 हजार की ही ऊंचाई पर उड़ते हैं ताकि यात्रियों को ऑक्सीजन की दिक्कत न हो।
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