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क्या आपको पता है DM और DC के बीच का अंतर, यहां जानें आखिर किसके पास है ज्यादा पावर?

अक्सर देखा गया है कि लोग DM और DC के बीच कंफ्यूज हो जाते हैं। लोग समझ नहीं पाते, इसलिए यहां हम आपको DM और DC के बीच का अंतर बता रहे हैं। जिसे आप यहां पढ़ सकते हैं।

Written By: Shailendra Tiwari @@Shailendra_jour
Published on: March 20, 2023 8:31 IST
DM, DC- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV DM और DC

अक्सर आपने कहीं न कहीं किसी न किसी को यह कहते सुना होगा कि DM या DC किसके पास ज्यादा पावर होता है? इसे लेकर अक्सर DM और DC के बीच कंफ्यूजन रहता है। बता दें कि DM को जिला मजिस्ट्रेट कहते है। यह एक भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) का अधिकारी होता है, जो देश के एक जिले का सबसे सीनियर एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट और प्रमुख प्रभारी होता है। ध्यान दें कि जिला मजिस्ट्रेट को सौंपी गई जिम्मेदारी राज्यों के हिसाब से अलग-अलग होती हैं। जिला कलेक्टर यानि डीसी जिले में राजस्व प्रशासन का सबसे बड़ा अधिकारी होता है। राज्य सरकार जिला मजिस्ट्रेट और जिला कलेक्टर को एक स्थान से दूसरे ट्रांसफर करती रहती है।

डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट (DM) 

डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट यानी DM एक जिले का प्रभारी होता है, जो प्रशासन की मूल इकाई है। बता दें कि डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (IAS) का अधिकारी होता है। इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस के संगठन से सरकार द्वारा कई राज्यों या जिलों में इन अधिकारियों को नियुक्त किया जाता है। IAS सदस्य या तो सीधे संघ लोक सेवा आयोग द्वारा नामांकित होते हैं या प्रमोट किए जाते हैं। ये राज्य सिविल सेवा (SCS) और गैर-राज्य सिविल सेवा (Non-SCS) द्वारा भी नामांकित किए जाते हैं। राज्य सरकार जिला मजिस्ट्रेट को एक स्थान से दूसरे ट्रांसफर करती रहती है। और जिला कलेक्टर

डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर (DC) 

देश में राजस्व प्रशासन के सर्वोच्च अधिकारी को जिला कलेक्टर (DC) कहा जाता है। जिला कलेक्टर को जिला आयुक्त भी बोला जाता है। जिला कलेक्टर किसी भी जिले का मुख्य प्रभारी होता है, जो सभी विभागों की निगरानी करते हैं। एक जिला कलेक्टर के कार्यों में भू-राजस्व एकत्र करना या भू-राजस्व का किराया कैसे एकत्र करना है, जिले में लॉ एंड ऑडर बनाए रखना और सामान्य प्रशासन की देख-रेख शामिल होता है। कलेक्टर की न्यायिक शक्ति जिले के न्यायिक अधिकारियों को ट्रांसफर कर दी गई। हर जिले में एक डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर या मुख्य उपायुक्त होता है, जिसे स्टेट गवर्नमेंट जिले में प्रशासन, कानून और व्यवस्था की देखभाल के लिए नियुक्त करती है। ध्यान दें कि जिले के मुख्य प्रशासनिक प्रमुख को डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर कहा जाता है।

जिला मजिस्ट्रेट (DM) और जिला कलेक्टर (DC) के कार्य

जिलाधिकारी जिले की कानून व्यवस्था बनाए रखने, पुलिस के कार्यों को नियंत्रित और निर्देशित करना और उपायुक्त आपराधिक प्रशासन के प्रमुख होते हैं। इसके अतिरिक्त DM के पास जिले में लॉक-अप और जेलों के प्रशासन का भी अधिकार होता है। वहीं, डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर या जिला दंडाधिकारी रेवेन्यू कोर्ट का आयोजन करता है। उत्पाद शुल्क, सिंचाई बकाया, आयकर बकाया और बकाया का संग्रहित करता है। राहत और पुनर्वास का कार्य भी देखता है। भूमि अधिग्रहण की मध्यस्थता, भू-राजस्व का संग्रह और जमीन का सही रिकॉर्ड रखना। इसके अलावा राष्ट्रीयता, अधिवास, विवाह, अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) सर्टिफिकेट जैसे कई वैधानिक सर्टिफिकेट जारी करता है। बता दें कि डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर यानी डीसी जिले में सर्वोच्च न्यायिक प्राधिकरण होता है।

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