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UNESCO की महानिदेशक और शिक्षा मंत्री के बीच 'कोरोना में शिक्षा' पर चर्चा

केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने गुरुवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए यूनेस्को की महानिदेशक ऑड्रे औजूले के साथ कोरोना काल में शिक्षा के मुद्दों पर चर्चा की।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: March 26, 2021 16:15 IST
Discussion between UNESCO Director General and Education...- India TV Hindi
Image Source : FILE Discussion between UNESCO Director General and Education Minister on 'Education in Corona'

नई दिल्ली। केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने गुरुवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए यूनेस्को की महानिदेशक ऑड्रे औजूले के साथ कोरोना काल में शिक्षा के मुद्दों पर चर्चा की। केंद्रीय मंत्री ने औजूले को बताया कि भारत में ई-विद्या की शुरूआत की गई है ताकि कोई भी छात्र शिक्षा से वंचित न रहे। इसके तहत इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले छात्रों के लिए दीक्षा (डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्च र फॉर नॉलेज शेयरिंग) शुरू किया।"

निशंक ने कहा, "जिन छात्रों के पास इंटरनेट नहीं है उनके लिए हमने स्वयंप्रभा नामक 'वन क्लास, वन चैनल' शुरू किया। इसके तहत हर छात्र को टेलीविजन के माध्यम से उच्च गुणवत्तापरकशिक्षा सामग्री उपलब्ध करवाई गई।"

दिव्यांग बच्चों के लिए शुरू की गई योजना के बारे में बताते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा हमने ऐसे बच्चों के लिए सांकेतिक भाषा में डिजिटल एक्सेसिबल इनफार्मेशन सिस्टम (डेजी) विकसित किया जो वेबसाइट एवं यूट्यूब पर भी उपलब्ध है।

डॉ. निशंक ने बताया कि इन सभी पहलों के द्वारा हमारी सरकार ने देश भर के 250 मिलियन स्कूल जाने वाले बच्चों को लॉकडाउन की वजह से स्कूल बंद होने के बावजूद लगातार शिक्षा प्रदान की।

इसके अलावा निशंक ने औजूले को जेईई एवं नीट की सफलतापूर्वक परीक्षाएं संपन्न करवाने, देश के उच्च शिक्षण संस्थानों द्वारा बनाए गए विभिन्न स्वास्थ्य उपकरण जैसे कि सबसे सस्ता वेंटीलेटर, आर्टिफिशल इंटेलिजेंस द्वारा संचालित परिक्षण किट, इत्यादि के बारे में भी बताया।

निशंक ने यूनेस्को की महानिदेशक से कहा, "हमारी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उद्देश्य देश के 340 मिलियन से अधिक छात्रों के लिए शैक्षिक पारिस्थितिकी तंत्र को नई दिशा देना है। हमारी यह नीति क्वालिटी, समता, समानता, पहुंच, और जवाबदेही के आधारभूत स्तंभों पर आधारित है।"

डॉ. निशंक ने औजूले से यूनेस्को में भर्ती को लेकर कहा कि हमें उम्मीद हैं कि निकट भविष्य में भारत यूनेस्को में डी 2, एडीजी या डीडीजी जैसे वरिष्ठ स्तर के पदों को सुशोभित करेगा। इसके अलावा उन्होंने यह भी मुद्दा उठाया कि भर्ती प्रक्रिया में जरूरी योग्यताओं के तहत आधिकारिक भाषा के तौर पर हिंदी शामिल नहीं है, जिसकी वजह हिंदी जानने वाले कई उम्मीदवार उत्तीर्ण नहीं हो पाते हैं।

उन्होनें कहा, "हिंदी, 1948 से, यूनेस्को की नौ आधिकारिक भाषाओं में से एक रही है। यह सिर्फ एक भारतीय भाषा नहीं है, बल्कि दुनिया के विभिन्न देशों में 700 मिलियन से अधिक लोगों द्वारा बोली जाने वाली एक वैश्विक भाषा है। हम हिंदी को यूनेस्को की कार्यकारी भाषा के तौर पर मान्यता देने के लिए आपके और अन्य सदस्य देशों के समर्थन की उम्मीद रखते हैं।"

अंत में शिक्षा मंत्री ने यूनेस्को की महानिदेशक को बताया कि भारत इस वर्ष अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है जिसका शीर्षक है 'आजादी का अमृत महोत्सव'।

डॉ. निशंक ने औजूले से भारत की आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर यूनेस्को मुख्यालय में एक कार्यक्रम आयोजित करने का आग्रह करते हुए कहा, "भारत यूनेस्को के संस्थापक सदस्यों में से एक रहा है।"

 

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