भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) ने फॉरेन यूनिवर्सिटीज को भारत में अपने कैंपस खोलने की इजाजत देने संबंधी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के फैसले का विरोध किया। उन्होंने दावा किया कि इससे देश की उच्च शिक्षा प्रणाली को ‘‘नुकसान’’ पहुंचेगा। भाकपा ने एक बयान में कहा कि इस मुद्दे पर सुझाव देने के लिए दिया गया समय पूरी तरह से अपर्याप्त है। बयान में कहा गया है, ‘‘यह नीति भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली को नुकसान पहुंचायेगी और इसे कमजोर कर देगी, जिससे व्यावसायीकरण होगा। इस फैसले से शिक्षा महंगी होगी और दलितों, आदिवासियों, अल्पसंख्यकों और गरीबों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।’’
'संसद में चर्चा की जानी चाहिए'
भाकपा ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार पर शिक्षा पर अपने बजट का तीन प्रतिशत से भी कम खर्च करने का आरोप लगाया। भाकपा ने दावा किया कि इस फैसले से आरक्षण की नीति और सामाजिक न्याय के सिद्धांत को भारी नुकसान पहुंचेगा। उसने कहा कि इस तरह की नीति को राज्यों पर थोपना संघीय विरोधी है और राज्य सरकारों की शक्तियों का अतिक्रमण है। बयान में कहा गया है, ‘‘भाकपा मांग करती है कि ऐसे विश्वविद्यालयों के लिए नियामक ढांचे को पहले रखा जाना चाहिए और हमारे छात्रों और देश के भविष्य को खतरे में डालने वाला कोई भी एकतरफा फैसला जल्दबाजी में लेने से पहले संसद में चर्चा की जानी चाहिए।’’
विदेशी विश्वविद्यालयों के लिए भारत में अपनी शाखाएं स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए UGC ने गुरुवार को इसका मसौदा नियमन जारी किया था, जिसमें उन्हें भारत में अपनी शाखाएं स्थापित करने के लिए यूजीसी से मंजूरी लेनी होगी, वहीं दाखिला प्रक्रिया तथा शुल्क ढांचा तय करने की छूट होगी।