Career In Archeology: अगर आपको रहस्य सुलझाना आच्छा लगता है और इतिहास को पढ़कर आप रोमांचित होते हैं तो आर्कियोलॉजिस्ट के तौर पर शानदार करियर बना सकते हैं। भारत का इतिहास काफी प्राचीन है और इसमें ऐसे रहस्यों की भरमार है, जो अभी तक सुलझाए नहीं जा सके हैं। माना जाता है कि हड़प्पा सभ्यता की खोज के बाद यहां पर बहुत कम ऐतिहासिक खोज हुए हैं। हालांकि, विगत कुछ दशकों में इतिहास के रहस्यों को सुलझाने में काफी तेजी आई है। लेकिन इसके बाद भी यहां पर अभी भी काफी कुछ खोजा जाना बाकी है। फिलहाल इतिहास के फिल्ड में रिसर्च और खोज के लिए क्रिएटिविटी और जिज्ञासू युवाओं की भारी डिमांड है।
क्या है आर्कियोलॉजी
आर्कियोलॉजी के विशेषज्ञ पुरानी सभ्यता और संस्कृति की खोज करने के साथ वैज्ञानिक दृष्टिकोण से उनका अध्ययन कर यह जानने की कोशिश करते हैं कि पुरानी सभ्यताओं में लोगों का रहन- सहन कैसा था। मानव सभ्यता का कैसे विकास हुआ और उस समय जीवनयापन के लिए किस तरह की वस्तुओं का इस्तेमाल होता था। इसके अलावा धार्मिक और सामाजिक परिवेश का आकलन भी आर्कियोलॉजिस्ट ही करते हैं। ये विशेषज्ञ कार्बन डेटिंग और समय गणना की मदद से इतिहास के रहस्यों से पर्दा उठाने की कोशिश करते हैं।
कोर्स और योग्यता
आर्कियोलॉजी से संबंधित कोर्स करने के लिए 12वीं इतिहास विषय के साथ करनी जरूरी है। इसके बाद छात्र अपनी क्षमता अनुसार आर्कियोलॉजी में डिप्लोमा, बैचलर, मास्टर और पीएचडी तक कर सकते हैं। इससे जुड़े कोर्स सभी प्रमुख विश्वविद्यालयों में उपलब्ध हैं। छात्र ग्रेजुएशन इन कंर्जर्वेशन, हिस्टॉरिकल आर्कियोलॉजी, जिओ आर्कियोलॉजी, मास्टर इन आर्कियोलॉजी एंड हेरिटेज मैनेजमेंट, एथनोआर्कियोलॉजी, आर्कियोबॉटनी, क्रॉनोलॉजिकल और एक्सपेरिमेंटल ऑर्कियोलॉजी जैसे कोर्स कर सकते हैं। आर्कियोलॉजिस्ट बनने के लिए प्लीस्टोसीन पीरियड के लैंग्वेज को सीखना भी जरूरी होता है। भारत में पाली, अपभ्रंश, संस्कृत को प्लीस्टोसीन पीरियड लैंग्वेज माना जाता है।
यहां मिलेगी शानदार जॉब
आर्कियोलॉजी कोर्स पूरा करने के बाद युवा सरकारी के साथ प्राइवेट सेक्टर में भी करियर बना सकते हैं। भारत के अंदर मुख्य रूप से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग, विदेश मंत्रालय का हिस्टोरिकल विभाग, राज्यों की पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग, विभिन्न संग्रहालय और एनजीओ व यूनिवर्सिटी काम करती हैं। इसके अलावा रिसर्च करने वाली कई प्राइवेट संस्थाएं, पर्यटन विभाग और इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्टोरिकल भी इन विशेषज्ञों को जॉब देता है।