पिछले दिनों NCERT की किताबों से कुछ टॉपिक हटने को लेकर विवाद चल रहा था। इनमें चार्ल्स डार्विन थ्योरी भी शामिल थी। इस पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने स्थिति स्पष्ट करते हुए जानकारी दी कि 20 जून केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने चार्ल्स डार्विन के विकासवाद के सिद्धांत को 'हटाने' की आशंकाओं को दूर करने की कोशिश की। शिक्षा मंत्री ने मंगलवार को महाराष्ट्र के पुणे शहर में भंडारकर ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट में एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। कार्यक्रम में शिक्षा मंत्री ने कहा, "ऐसा कुछ नहीं हुआ है।" प्रधान ने कहा, "इन दिनों एक विवाद चल रहा है कि डार्विन के विकासवाद के सिद्धांत को एनसीईआरटी द्वारा साइंस की किताबों से हटा दिया गया है और पिरोडिक टेबल को छोड़ दिया गया है, लेकिन मैं यहां सार्वजनिक रूप से कहना चाहूंगा कि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है।"
शिक्षा मंत्री ने एनसीईआरटी से की बात
मंत्री ने आगे कहा कि विवाद बढ़ने के बाद मैंने एनसीईआरटी से बात की और उससे जानकारी मांगी। प्रधान ने कहा, " विशेषज्ञों ने सलाह दी थी कि COVID-19 के दौरान, कुछ दोहराव वाले हिस्सों को कम किया जा सकता है और बाद में वापस लाया जा सकता है, इसलिए कक्षा 8 और 9 की सामग्री सेम है। कक्षा 10 की किताब में, सिद्धांत से संबंधित कुछ भाग विकास पिछले साल छोड़ दिया गया था और यह कक्षा 11 और 12 में सेम ही है"।
नई एजुकेशन पॉलिसी के तहत नई पाठ्य पुस्तकें हो रहीं तैयार
मंत्री ने स्वीकार किया कि एक विचार है, जो छात्र 10वीं कक्षा के बाद विज्ञान का अध्ययन नहीं करेंगे, वे डार्विन के विकासवाद के सिद्धांत से संबंधित कुछ विशिष्ट विषयों से वंचित रह जाएंगे, जो एक मान्य बिंदु है। मंत्री ने कहा, "पिरोडिक टेबल कक्षा 9 में पढ़ाई जाती है और कक्षा 11 और 12 में भी पढ़ाई जा रही है। एनसीईआरटी के अनुसार, एक या दो उदाहरण (विकास के सिद्धांत से संबंधित) छोड़ दिए गए थे। लेकिन मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि नेशनल एजुकेशन पॉलिसी लागू की जा रही है और उस पॉलिसी के अनुसार नई पाठ्य पुस्तकें तैयार की जा रही हैं।
(इनपुट- पीटीआई)