अब कोंचिंग सेंटर्स मनमानी तरीके से काम नहीं कर सकेंगे। केंद्र सरकार ने देश के सभी प्राइवेट कोचिंग सेंटर्स के लिए गाइडलाइन जारी की है। अब इन कोचिंग सेंटर्स को रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। साथ ही कोचिंग सेंटर 16 साल के कम उम्र के बच्चों का एनरोलमेंट नहीं करा सकेंगे। इसके अलावा कोचिंग सेंटर किसी से ज्यादा फीस भी नहीं ले सकेंगे। केंद्र सरकार ने ये गाइलाइन देश भर में हो रहे छात्रों के सुसाइड मामलों व कोचिंग सेंटर्स की मनमानी को देखते हुए जारी किया है। देश भर में प्राइवेट कोचिंग सेंटरों को रेगुलेट करने के लिए शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी किया गया है।
सेंटर्स को करनी होगी ये व्यवस्था
गाइडलाइन के मुताबिक, प्रोफेशनल कोर्सों के लिए ट्रेनिंग देने वाले कोचिंग सेंटर्स को अब नवीनतम दिशानिर्देशों के मुताबिक, अग्नि सुरक्षा और भवन सुरक्षा मानदंडों के अनुरूप होने के अलावा छात्रों को साइकोलॉजी और मेंटल हेल्थ सपोर्ट भी देंगे। बता दें कि कोचिंग सेंटर के रजिस्ट्रेशन और रेगुलेशन 2024 के लिए मंगलवार को तैयार दिशानिर्देश उचित कार्रवाई के लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को भेज दिए गए जबकि कुछ राज्यों में पहले से ही कोचिंग संस्थानों को विनियमित करने वाले कानून हैं, नेशनल लेवल पर अधिक फीस वसूलने वाले अनरेगुलेटेड प्राइवेट कोचिंग सेंटरों की बढ़ती संख्या और छात्रों पर अनुचित तनाव पैदा करने के बारे में चिंता व्यक्त की गई थी, जिसके परिणामस्वरूप छात्र आत्महत्याएं हुईं।
साल 2023 में सबसे ज्यादा छात्रों ने की थी सुसाइड
जानकारी दे दें कि छात्रों के सुसाइड का यह मुद्दा पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था, जब एक परेशान माता-पिता अनिरुद्ध नारायण मालपानी ने राजस्थान के कोटा में युवाओं के सुसाइड को रोकने के लिए दिशानिर्देशों या किसी भी प्रकार के विनियमन की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, 2015 के बाद से सबसे अधिक, जहां 2023 में 26 आत्महत्या मौतें दर्ज की गईं थीं।
छात्रों की मानसिक भलाई के लिए कदम उठाना चाहिए
जारी दिशानिर्देशों में कहा गया है, “छात्रों पर हाई कंपटीशन और एकेडमिक प्रेशर के कारण, कोचिंग सेंटरों को छात्रों की मानसिक भलाई के लिए कदम उठाना चाहिए और अपने छात्रों पर बिना दबाव डाले बिना क्लासेस चला सकते हैं। आगे कहा गया, "कोचिंग संस्थानों को मानसिक तनाव और अवसाद के समाधान के लिए छात्रों को परामर्श देने और साइकोलॉकिल मदद करने के लिए अनुभवी साइकोलॉजिस्ट को शामिल करने के लिए कहा जाता है।" इसने मेंटल हेल्थ को बढ़ावा देने के लिए एक रूपरेखा तैयार की, जिसमें मानसिक भलाई, दृष्टिकोण और व्यवहार, मनोसामाजिक समस्याओं और गंभीर समस्याओं या मानसिक विकारों से शुरू होने वाली समस्याओं से निपटने के लिए संस्थान को तैयार रहेने को कहा गया है।
नहीं किया पालन तो देना होगा जुर्माना
इन रजिस्ट्रेशन या शर्तों के किसी भी नियम और शर्तों के उल्लंघन के मामले में, कोचिंग सेंटर पहले क्राइम के लिए ₹25,000, दूसरी बार उल्लंघन के लिए ₹1 लाख और इसके बाद भी अपराध के लिए रजिस्ट्रेशन रद्द करने के व जुर्माने के लिए उत्तरदायी होगा।
रिफंड करना होगा फीस
फीस के संबंध में कहा गया है कि यह पूरी तरह निष्पक्ष और उचित होगा और कोर्स की अवधि के दौरान इसमें बढ़ोतरी नहीं की जाएगी। इसके अलावा, यदि किसी छात्र ने पूरा भुगतान कर दिया है और कोर्स को बीच में ही छोड़ना चाहता है, तो छात्र को पाठ्यक्रम की शेष अवधि के लिए पैसा वापस कर दिया जाएगा। इसमें कहा गया है कि रिफंड में हॉस्टल और मेस फीस भी शामिल होगी।
5 घंटे से अधिक नहीं होगी पढ़ाई
किसी भी परिस्थिति में स्कूलों या संस्थानों में पढ़ने वाले छात्रों के वर्किंग घंटों के दौरान कोचिंग कक्षाएं आयोजित नहीं की जा सकतीं, जिससे उनकी नियमित उपस्थिति प्रभावित हो सकती है। दिशानिर्देशों में पाठ्यक्रम को एक दिन में 5 घंटे से अधिक नहीं (सुबह बहुत जल्दी या शाम को बहुत देर से नहीं), छात्रों और शिक्षकों को साप्ताहिक अवकाश दिया जाता है और साप्ताहिक अवकाश के बाद वाले दिन कोई मूल्यांकन परीक्षण नहीं दिया जाता है। त्योहारों के दौरान, कोचिंग सेंटर छात्रों को अपने परिवार के साथ जुड़ने और "भावनात्मक बढ़ावा" पाने में सक्षम बनाने के लिए "छुट्टियों को अनुकूलित" करेंगे।
मॉक टेस्ट आयोजित करने की जानी चाहिए
इंजीनियरिंग और मेडिकल संस्थानों में एडमिशन के विकल्पों के अलावा, दिशानिर्देशों में ऐसे सेंटर्स को छात्रों के बीच तनाव कम करने के लिए अन्य कैरियर विकल्पों के बारे में जानकारी देने और छात्रों की क्षमता का आकलन करने और छात्रों और अभिभावकों दोनों की अपेक्षाएं बताने के लिए मॉक टेस्ट आयोजित करने की जानी चाहिए। इसके अलावा, केंद्र के निर्देश छात्रों, अभिभावकों या ट्यूटर्स/कर्मचारियों द्वारा सक्षम राज्य प्राधिकारी को शिकायत के लिए 30 दिनों के भीतर समाधान देते हैं, जबकि कोचिंग सेंटर को भी सुनवाई का मौका मिलना चाहिए।
उप सचिव ने दिया आदेश
शिक्षा मंत्रालय के हायर एजुकेशन डिपार्टमेंट के उप सचिव देवेन्द्र कुमार शर्मा द्वारा जारी रिपोर्ट को आगे भेजते हुए पत्र में कहा गया है, “मुझे यह कहने का निर्देश दिया गया है कि देश में अनियमित निजी कोचिंग सेंटरों की संख्या किसी भी नियम के अभाव में बढ़ती जा रही है।” ऐसे सेंटर्स द्वारा छात्रों से अत्यधिक फीस वसूलने, छात्रों पर अनुचित तनाव के कारण छात्रों द्वारा आत्महत्या करने, आग और अन्य दुर्घटनाओं के कारण बहुमूल्य जीवन का नुकसान, और इन सेंटर्स द्वारा अपनाई जाने वाली कई अन्य कदाचार की घटनाएं मीडिया में रिपोर्ट की गई हैं।
केंद्र और राज्य कानून बना सकते हैं
बता दें कि शिक्षा संविधान की समवर्ती सूची में आती है जिस पर केंद्र और राज्य कानून बना सकते हैं। वर्तमान में, कुछ राज्यों में निजी कोचिंग और ट्यूशन कक्षाओं को विनियमित करने के लिए एक कानूनी ढांचा है। इनमें बिहार, गोवा, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और मणिपुर शामिल हैं। कोटा में बढ़ती आत्महत्याओं के मद्देनजर राजस्थान सरकार द्वारा पिछले साल इस संबंध में एक विधेयक पेश किया गया था, जिसे राजस्थान कोचिंग संस्थान (नियंत्रण और विनियमन) बिल, 2023 कहा गया था।
जानकारी दे दें कि साल 2017 में शीर्ष अदालत ने इसे नीतिगत मुद्दा बताते हुए इस मुद्दे पर एक जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था। निजी कोचिंग सेंटर्स को विनियमित करने के लिए एक दिशानिर्देश विकसित करने पर मंत्रालय में विचार-विमर्श शुरू हुआ। अप्रैल में, राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को नियम तोड़ने वाले संस्थानों के लिए नियमन और सख्त दंड व्यवस्था के लिए कार्रवाई करने को कहा गया था।
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