
कक्षा 12वीं के छात्रों के बेहद जरूरी खबर है। सीबीएसई यानी सेंट्रल बोर्ड ऑफ एजुकेशन ने साफ तौर पर संदेश दे दिया है कि अब वे छात्र जो डमी स्कूलों में एडमिशन लेते हैं संभल जाएं क्योंकि अगर जांच में पता चला कि उन्होंने डमी स्कूलों में एडमिशन लिया है तो उन्हें बोर्ड एग्जाम में बैठने का मौका नहीं दिया जाएगा।
इसके जिम्मेदार बनेंगे छात्र और अभिभावक
सीबीएसई बोर्ड के एक अधिकारी ने कहा कि ‘डमी स्कूलों’ में एडमिशन के दुष्परिणामों की जिम्मेदारी स्वयं छात्र-छात्रा और अभिभावकों की होगी। सीबीएसई ‘डमी स्कूलों’ के खिलाफ जारी कार्रवाई के तहत एग्जाम के नियमों में बदलाव करने पर विचार कर रही है, ताकि ऐसे छात्रों को बोर्ड परीक्षाओं में बैठने से रोका जा सके।
दी गई छात्रों को चेतावनी
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने ‘डमी स्कूलों’ में एडमिशन लेने वाले छात्रों को चेतावनी देते हुए कहा है कि जो छात्र नियमित कक्षाओं में शामिल नहीं होंगे, उन्हें 12वीं की बोर्ड परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जाएगी। बोर्ड के एक अधिकारी ने कहा कि ‘डमी स्कूलों’ में प्रवेश के दुष्परिणामों की जिम्मेदारी स्वयं विद्यार्थियों और अभिभावकों की होगी। इन्हें सीबीएसई के बोर्ड एग्जाम की जगह
नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ ओपेन स्कूलिंग (एनआईओएस) की परीक्षा देनी होगी।
बोर्ड परीक्षा में नहीं मिलेगी बैठने की अनुमित
बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘‘यदि कोई परीक्षार्थी स्कूल से गायब पाया जाता है या बोर्ड द्वारा किए गए औचक निरीक्षण के दौरान अनुपस्थित रहता है, तो ऐसे परीक्षार्थियों को बोर्ड परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जाएगी। नियमित तौर पर कक्षाओं में शामिल नहीं होने के दुष्परिणामों के लिए संबंधित छात्र और उसके अभिभावक ही जिम्मेदार होंगे।’’
इस सत्र से हो रहा लागू
अधिकारी ने कहा कि ‘डमी’ संस्कृति को बढ़ावा देने वाले या गैर-हाजिर छात्रों को बढ़ावा देने वाले स्कूलों के खिलाफ बोर्ड की संबद्धता और एग्जाम के नियमों के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। यह मुद्दा बोर्ड की हाल ही में हुई शासकीय बोर्ड बैठक में भी उठाया गया था, जहां यह सिफारिश की गई थी कि इस फैसले को एकेडमिक सेशन 2025-2026 से लागू किया जाए।
इतने प्रतिशत होनी चाहिए अटेंडेंस
अधिकारी ने बताया, ‘‘परीक्षा समिति में इस मामले पर विस्तार से चर्चा की गई और यह निष्कर्ष निकला कि बोर्ड के नियमों के अनुसार, बोर्ड परीक्षाओं में शामिल होने के लिए छात्रों की न्यूनतम 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य है।’’ उन्होंने कहा कि यदि अपेक्षित उपस्थिति पूरी नहीं होती है, तो केवल गैर-उपस्थिति वाले स्कूल में नामांकन लेने से ऐसे छात्र सीबीएसई परीक्षा में बैठने के हकदार नहीं हो सकते।
ऐसे छात्र दे सकेंगे ये परीक्षा
अधिकारी ने कहा, ‘‘यदि सीबीएसई द्वारा किसी छात्र को अनुमति नहीं दी जाती है तो ऐसे में वे परीक्षा में बैठने के लिए एनआईओएस के पास जा सकते हैं। आगे कहा गया कि बोर्ड केवल मेडिकल इमरजेंसी कंडीशन, नेशनल या इंटरनेशनल स्पोट्स आयोजनों में भागीदारी और अन्य गंभीर कारणों जैसे मामलों में ही 25 प्रतिशत की छूट देता है।’’
अधिकारी के मुताबिक बोर्ड इस बात पर विचार कर रहा है कि जिन छात्रों की उपस्थिति 75 फीसदी नहीं पूरी होगी, बोर्ड उनकी अभ्यर्थिता पर विचार नहीं करेगा और ऐसे छात्रों को परीक्षा के लिए रजिस्ट्रेशन करने वाले स्कूल के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की जा सकती है।
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