Wednesday, November 06, 2024
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मशहूर आर्किटेक्ट और प्रित्जकर पुरस्कार पाने वाले पहले भारतीय बालकृष्ण दोशी का निधन, PM मोदी ने ट्वीट कर जताया दुख

बालकृष्ण विठ्ठलदास दोशी (B.K Doshi) का जन्म 26 अगस्त, 1927 को पुणे में हुआ था। बचपन से ही कला में वह बहुत रुची रखते थे। उन्होंने मुंबई के सर जे जे स्कूल ऑफ आर्ट्स में अपनी पढ़ाई पूरी की।

Edited By: Pankaj Yadav @ThePankajY
Published on: January 25, 2023 17:12 IST
मशहूर वास्तुकार बालकृष्ण विठ्ठलदास दोशी - India TV Hindi
मशहूर वास्तुकार बालकृष्ण विठ्ठलदास दोशी

मशहूर आर्किटेक्ट और आर्किटेक्चर का सर्वोच्च सम्मान प्रित्जकर पुरुस्कार पाने वाले पहले भारतीय बालकृष्ण विठ्ठलदास दोशी का मंगलवार को अहमदाबाद में निधन हो गया। अहमदाबाद में ही उनका अंतिम संस्कार किया गया। पीएम मोदी और गुजरात के सीएम भूपेंद्र पटेल ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। पीएम मोदी ने ट्वीट कर शोक जताते हुए कहा," डॉ बीवी दोशी जी एक शानदार वास्तुकार और एक उल्लेखनीय संस्था निर्माता थे। आने वाली पीढ़ियों को भारत भर में उनके समृद्ध कार्यों से उनकी महानता की झलक मिलेगी। उनका निधन दुखद है। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना। ओम शांति।" वहीं सीएम भूपेंद्र पटेल ने गुजराती भाषा में ट्वीट लिखा," प्रित्जकर पुरस्कार विजेता 'पद्म भूषण' बालकृष्ण दोशीजी के निधन पर शोक, विश्व प्रसिद्ध वास्तुकार जो वास्तुकला की दुनिया के ध्रुवीय व्यक्ति हैं। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे और उनके परिजनों, अनगिनत प्रशंसकों और शिष्यों को यह सदमा सहने की शक्ति दे। शांति।

पुणे में हुआ था जन्म और मुंबई में हुई पढ़ाई

बालकृष्ण विठ्ठलदास दोशी (B.K Doshi) का जन्म 26 अगस्त, 1927 को पुणे में हुआ था। बचपन से ही कला में वह बहुत रुची रखते थे। उन्होंने मुंबई के सर जे जे स्कूल ऑफ आर्ट्स में अपनी पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्होंने फ्रांस के प्रसिद्ध आर्किटेक्ट ले कोबुर्सीयर के साथ काम किया। ले कोबुर्सीयर ने भारत में दोशी के कौशल को तराशने, दिशा देने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पेरिस में कोबुर्सीयर के साथ काम करने के बाद भारत में प्रोजेक्ट्स का संचालन करने के लिए देश वापस लौट आएं। 1956 में उन्होंने अपने स्टूडियो वास्तुशिल्प की स्थापना की। 

इन महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर किया काम

ले कोबुर्सीयर ने उन्हें साराभाई विला, सोधन विला, अहमदाबाद टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज रिसर्च एसोसिएशन बिल्डिंग की योजना और वास्तुकला के काम को निर्देशित करने के लिए नियुक्त किया। दोशी की वास्तुकला भारत की कुछ सबसे प्रतिष्ठित इमारतों में देखी जाती है, जिसमें बेंगलुरु और उदयपुर में भारतीय प्रबंधन संस्थान, दिल्ली में राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान, अहमदाबाद में अमदवाद नी गुफा भूमिगत गैलरी, पर्यावरण योजना और प्रौद्योगिकी केंद्र, टैगोर मेमोरियल हॉल, इंडोलॉजी संस्थान और प्रेमाभाई हॉल और निजी निवास कमला हाउस शामिल हैं।

पद्म भूषण और प्रित्जकर पुरस्कार से किए गए थे सम्मानित

बालकृष्ण विठ्ठलदास दोशी (B.K Doshi) को पद्म भूषण पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उन्हें आरआईबीए स्वर्ण पदक भी मिला था। 2018 में उन्हें वास्तुकला के क्षेत्र में सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक माना जाने वाला प्रित्ज़कर आर्किटेक्चर पुरस्कार मिला था। यह सम्मान प्राप्त करने वाले पहले भारतीय वास्तुकार थे। इसके अलावा उन्हें 2020 में भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। 2022 में उन्हें रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ ब्रिटिश आर्किटेक्ट्स से 'रॉयल गोल्ड मेडल' मिला था। 

वास्तुकला के लिए हमेशा किए जाएंगे याद

अहमदाबाद के निरमा विश्वविद्यालय के निदेशक उत्पल शर्मा ने वैचारिक संस्थानों में दोशी की सेवा को याद करते हुए कहा, दोशी ने स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर (पूर्व में पर्यावरण योजना और प्रौद्योगिकी केंद्र) 1962 की स्थापना में लालभाई परिवार का समर्थन किया था, उन्होंने स्कूल योजना का नेतृत्व भी किया था। शर्मा ने दोशी के साथ अपने समृद्ध अनुभव को साझा किया और कहा," दोशी ने निरमा विश्वविद्यालय में वास्तुकला और योजना संकाय स्थापित करने के लिए मेरा मार्गदर्शन किया।"

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