मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले स्थित बागेश्वर धाम इन दिनों खूब चर्चा में है। चर्चा की वजह बने हैं यहां के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री। वे दरबार लगाकर लोगों की समस्याएं सुनते हैं और कथित दौर पर पर्चे पर लिखकर समाधान भी बताते हैं। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री शास्त्री का जन्म 4 जुलाई 1996 में छतरपुर के ही गढ़ा गांव में हुआ था। इनके पिता रामकृपाल गर्ग भी गांव में पूजा पाठ का काम करते थे। वहीं मां एक घरेलू महिला हैं। धीरेंद्र शास्त्री भी अपने पिता के साथ कथा वाचक का काम करते हैं। ऐसे में लोग उनके एजुकेशन को लेकर भी जानने को उत्सुक हैं इसलिए आपको हम यहां इनके क्वालिफिकेशन के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं।
कहां तक की है पढ़ाई
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की पढ़ाई को लेकर अपने-अपने तर्क हैं मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो, धीरेंद्र कृष्ण ने हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी की पढ़ाई गंज गांव से की है। इसके बाद उन्होंने बीए की डिग्री ली। वहीं कुछ लोगों का कहना है कि धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री सिर्फ आठवीं तक पढ़े हैं। उनका बचपन गरीबी में बीता था। इनकी मां दूध बेचने का काम करती थी और पिता सत्यनाराण भगवान की कथा सुनाते थे। हाल ही के अपने दिए गए इंटरव्यू में धीरेंद्र खुद भी इस बात को कबूल करते हैं कि वे बीए कर चुके हैं। वहीं, आगे यह भी कहा कि उन्होंने ठीक से पढ़ाई नहीं की है, इसलिए वे इस पढ़ाई को नहीं मानते।
दादा को मानते हैं गुरु
इंटरव्यू के मुताबिक, धीरेंद्र शास्त्री अपने दादा को सिद्ध पुरुष बताते हैं। उन्होंने आगे बताया कि वह अपने दादाजी को ही गुरु मानते हैं। वे हर मंगलवार और शनिवार को इस मंदिर में दरबार लगाते थे। उस समय से ही इस मंदिर में लोग आते हैं और अपनी अर्जी लगाते हैं। धीरेंद्र शास्त्री भी 9 साल की उम्र से दादाजी के साथ मंदिर जाने लगे थे। उनसे ही रामकथा कहना सीखा।
क्यों सुर्खियों में आए धीरेंद्र शास्त्री?
दरअसल, महाराष्ट्र की एक संस्था अंध श्रद्धा उन्मूलन समिति के श्याम मानव ने धीरेंद्र शास्त्री पर अंधविश्वास फैलाने के आरोप लगाए। जिसके बाद धीरेंद्र शास्त्री सुर्खियों में आ गए। बता दें कि श्याम मानव नेधीरेंद्र शास्त्री को चुनौती दी थी कि वह नागपुर में उनके मंच पर आए और अपना चमत्कार दिखाएं। संस्थान ने कहा कि अगर धीरेंद्र शास्त्री ऐसा करते हैं तो उन्हें 30 लाख रुपए देगें। कहा जा रहा है कि धीरेंद्र शास्त्री ने संस्थान की चुनौती को स्वीकार नहीं की और वह वहां से भाग आए। लोगों का कहना है कि वह डरकर नागपुर से वापस लौट आए हैं। लेकिन आचार्य धीरेंद्र शास्त्री का कहना है कि वह किसी के डर या चुनौती के कारण वापस नहीं आए हैं, उन्हें किसी से भी प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं है।
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