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बीए, बीकॉम, और बीएससी की पढ़ाई अब इन भाषाओं में भी, जानें क्या है पूरा मामला

देश में अब अंडरग्रेजुएट कोर्सों को लेकर राष्ट्रव्यापी बदलाव होने जा रहा है। छात्र अपनी क्षेत्रीय भाषा में ग्रेजुएशन कर सकेंगे। इसे लेकर तैयारी शुरू कर दी गई है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय जल्द ही इसे लाने की तैयारी कर रही है।

Edited By: Shailendra Tiwari @@Shailendra_jour
Published on: December 18, 2022 12:48 IST
अब क्षेत्रीय भाषाओं में होगी बीए, बीकॉम और बीएससी की पढ़ाई- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO अब क्षेत्रीय भाषाओं में होगी बीए, बीकॉम और बीएससी की पढ़ाई

देश में अब हायर एजुकेशन यानी बीए, बीकॉम, और बीएससी जैसे अंडर ग्रेजुएट कोर्सों में भाषा बाधा नहीं बन सकेगी। छात्र अपनी क्षेत्रीय भाषा में ग्रेजुएशन कर सकेंगे। इसके लिए बीए, बीकॉम, और बीएससी की सभी पुस्तकें बंगाली, गुजराती, कन्नड़, मलयालम, मराठी, ओडिया, तमिल, तेलुगु आदि क्षेत्रीय भाषाओं में लाने की तैयारी है। ग्रेजुएशन स्तर पर यह पहल पूरी होने के उपरांत इसे पोस्ट ग्रेजुएशन के लेवल पर भी ले जाया जाएगा।

की गई पब्लिशरों के साथ बातचीत

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की पहल पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने बीए, बीएससी, और बीकॉम में उपयोग की जाने वाले पाठ्यपुस्तकों के अंग्रेजी संस्करण को भारतीय भाषाओं में लाने के लिए भारतीय पब्लिशरों के साथ बातचीत की है। जिन बड़े पब्लिशरों के साथ यह संभावनाएं तलाशी जा रही हैं उनमें पियर्सन इंडिया, नरोसा पब्लिशर्स, वाइवा बुक्स, साइटेक पब्लिकेशन्स, एस. चांद पब्लिशर्स, विकास पब्लिशिंग, न्यू एज पब्लिशर्स, महावीर पब्लिकेशन्स, यूनिवर्सिटीज प्रेस और टैक्समैन पब्लिकेशन्स शामिल हैं। इन सभी के प्रतिनिधियों ने यूजीसी के साथ हुई बातचीत में हिस्सा लिया।

कई विदेशी प्रतिनिधि भी मौजूद

इनके अलावा इस उच्चस्तरीय महत्वपूर्ण बैठक में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, ओरिएंट ब्लैकस्वान और एल्सेवियर के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया। यूजीसी, एनईपी 2020 के एक भाग के रूप में, असमिया, बंगाली, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, मलयालम, मराठी, ओडिया, पंजाबी, तमिल, तेलुगु और उर्दू जैसी 12 भारतीय भाषाओं में देश भर के उच्च शिक्षा संस्थानों में स्नातक कार्यक्रमों के लिए सबसे लोकप्रिय पाठ्यपुस्तकों का अनुवाद लाने की दिशा में काम कर रहा है।

यूजीसी कर रही तैयारी

यूजीसी चेयरमैन प्रोफेसर एम जगदीश कुमार ने मीडिया को बताया कि यूजीसी एक नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करेगा जो प्रकाशकों को पाठ्यपुस्तकों की पहचान, अनुवाद उपकरण और संपादन के लिए विशेषज्ञों के संबंध में सभी सहायता और समर्थन प्रदान करेगा ताकि पाठ्यपुस्तकों को डिजिटल प्रारूप में सस्ती कीमतों पर प्रदान किया जा सके। यूजीसी इसके लिए दो ट्रैक पर काम कर रहा है। जहां बीए, बीएससी और बीकॉम कार्यक्रमों की लोकप्रिय मौजूदा पाठ्यपुस्तकों की पहचान की जाएगी और उनका भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया जाएगा। इसके साथ ही भारतीय लेखकों को गैर-तकनीकी विषयों के लिए भारतीय भाषाओं में पाठ्यपुस्तक लिखने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।

यूजीसी चेयरमैन के मुताबिक, यूजीसी आने वाले महीनों में कई पाठ्यपुस्तकों का भारतीय भाषाओं में अनुवाद करने का इरादा रखता है। उन्होंने कहा हम इस बात कि सराहना करते हैं कि इस मुहिम में भाग लेने वाले प्रकाशकों ने इस राष्ट्रीय मिशन में भागीदारी करने में गहरी दिलचस्पी दिखाई है। यूजीसी ने एक रोड मैप तैयार करने और विभिन्न भारतीय भाषाओं में पाठ्यपुस्तकों को लाने की दिशा में काम करने के लिए एक शीर्ष समिति का गठन भी किया है।

किताबों को होगी अनुवाद

यूजीसी चैयरमेन के मुताबिक प्रारंभिक ध्यान बीए, बीएससी और बीकॉम कार्यक्रमों में मौजूदा पाठ्यपुस्तकों के अनुवाद पर होगा, जिसे बाद में पोस्ट ग्रेजुएशन कार्यक्रमों में भी इसे विस्तारित किया जाएगा। यह भी बताया गया कि यूजीसी भारतीय लेखकों और शिक्षाविदों को विभिन्न भारतीय भाषाओं में पाठ्यपुस्तकें लिखने के लिए प्रोत्साहित करेगा और उन्हें प्रकाशित करने में प्रकाशकों को शामिल करेगा।

यूजीसी 6 से 12 महीनों में कई पाठ्यपुस्तकों का भारतीय भाषाओं में अनुवाद करने का इरादा रखता है। प्रकाशकों के प्रतिनिधियों ने इस राष्ट्रीय मिशन में भागीदार बनने की इच्छा व्यक्त की है। भारतीय प्रकाश के अलावा यूजीसी बड़े अंतरराष्ट्रीय प्रकाशकों के साथ भी इस विषय पर लगातार चर्चा कर रहा है। यूजीसी ने हाल ही में विली इंडिया, स्प्रिंगर नेचर, टेलर एंड फ्रांसिस, कैंब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस इंडिया, सेंगेज इंडिया और मैकग्रा-हिल इंडिया के प्रतिनिधियों से भारतीय भाषाओं में अंडरग्रेजुएट अंग्रेजी पाठ्यपुस्तकों को लाने पर चर्चा की है।

 

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