हर साल हजारों भारतीय छात्र ऑस्ट्रेलिया पढ़ने जाते हैं, ऐसे में उन्हें अच्छी पढ़ाई की ललक तो रहती ही है, साथ ही उन्हें बेहतर करियर की भी तलाश रहती है। ऐसे में उनके आसपास के लोग भी इसी अभिलाषा से ऑस्ट्रेलिया पढ़ने की चाहत रखते है तो ऐसे में इन छात्रों के लिए बुरी खबर है। ऑस्ट्रेलिया साल 2025 तक विदेशी छात्रों के लिए अपने यहां इनरोलमेंट सीमित करने जा रहा है। ऑस्ट्रेलिया ने मंगलवार को कहा कि वह 2025 तक विदेशी छात्रों के इनरोलमेंट नंबर्स को 270,000 तक सीमित रखेगा, क्योंकि सरकार रिकॉर्ड माइग्रेशन पर लगाम लगाना चाहती है, जिससे घर के किराये की कीमतों में बढ़ोतरी हो चुकी है।
किस कारण लिया फैसला
यह फैसला पिछले साल से ऑस्ट्रेलिया में विदेशी छात्रों और श्रमिकों के लिए कोविड काल की रियायतों को खत्म करने के लिए की गई कार्रवाइयों के बाद लिया गया है, जिससे बिजनेस को स्थानीय स्तर पर कर्मचारियों की भर्ती करने में मदद मिली, जबकि स्ट्रिक्ट बॉर्डर कंट्रोल ने विदेशी श्रमिकों को बाहर रखा था।
शिक्षा मंत्री जेसन क्लेयर ने कहा, "महामारी से पहले की तुलना में आज हमारे यूनिवर्सिटीज में लगभग 10% अधिक विदेशी छात्र हैं, साथ ही हमारे प्राइवेट वोकेशनल और ट्रेनिंग प्रोवाइडर्स में लगभग 50% अधिक हैं।"
इंटरनेशनल एजुकेशन बड़ी इंडस्ट्री
क्लेयर ने आगे कहा कि ये सुधार विदेशी छात्र क्षेत्र को बेहतर और अधिक निष्पक्ष बनाने के लिए तैयार किए गए हैं, और इससे भविष्य में इसे अधिक बल मिलेगा। इंटरनेशनल एजुकेशन ऑस्ट्रेलिया के सबसे बड़े एक्सपोर्ट इंडस्ट्री में से एक है। 2022-2023 वित्तीय वर्ष में इसकी अर्थव्यवस्था में 36.4 बिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर की हिस्सेदारी थी।
हाउस मार्केट पर अतिरिक्त प्रेशर
लेकिन सर्वे से पता चला है कि वोटर इस बात से चिंतित हैं कि विदेशी छात्रों और श्रमिकों की बड़ी संख्या से हाउस मार्केट पर अतिरिक्त प्रेशर बनेगा, जिससे एक साल से भी कम समय में होने वाले चुनाव में इमीग्रेशन एक संभावित प्रमुख चुनावी मुद्दा बन जाएगा। 30 सितम्बर 2023 को खत्म होने वाले साल में इमीग्रेशन रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया, जो 60% बढ़कर रिकॉर्ड 548,800 हो गया, जो जून 2023 की तुलना में अधिक है, जून में 518,000 लोग आस्ट्रेलिया आए थे।
ऑस्ट्रेलिया ने 2022 में अपने एनुअल माइग्रेशन नंबर्स को बढ़ा दिया, ताकि बिजनेसेज को कर्मचारियों की कमी को पूरा करने के लिए भर्ती करने में मदद मिल सके, क्योंकि कोविड-19 महामारी के कारण बॉर्डर पर सख्त नियंत्रण लगा दिया गया था और लगभग दो सालों तक विदेशी छात्रों और श्रमिकों को बाहर रखा गया था।
लेबर सप्लाई को बढ़ाया
भारत, चीन और फिलीपींस से आए छात्रों के कारण रिकॉर्ड माइग्रेशन ने लेबर सप्लाई को बढ़ाया है और वेतन दबाव को कम किया है, लेकिन इसने पहले से ही तंग हाउस मार्केट को और भी बदतर बना दिया है। माइग्रेशन में बढ़ोतरी रोकने के लिए, सरकार ने पिछले महीने विदेशी छात्रों के लिए वीजा फीस को दोगुना से भी अधिक कर दिया और नियमों में खामियों को दूर करने का वादा किया, जिससे उन्हें लगातार अपने माइग्रेशन को बढ़ाने की अनुमति मिलती थी।
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