अरुणाचल प्रदेश से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां राज्य सरकार ने शिक्षा विभाग की औपचारिकताओं को पूरा किए बिना संबंधित अधिकारियों को ‘‘फर्जी’’ नियुक्ति आदेश देने के आरोप में 256 शिक्षकों, लिपिकों और सहायक कर्मचारियों की सेवाओं को समाप्त कर दिया है। अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक राज्य शिक्षा आयुक्त अमजद टाक ने कथित अनियमितताओं का विश्लेषण करने के लिए गठित एक जांच समिति की जांच के बाद विभिन्न जिलों में नियुक्त इन कर्मचारियों को सेवाओं से बर्खास्त करने के अलग-अलग आदेश जारी किए हैं।
'नियुक्ति पत्र कभी जारी नहीं किए गए थे'
जांच में पाया गया कि ऐसे नियुक्ति पत्र "प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय से कभी जारी नहीं किए गए थे"। आदेशों से पता चला कि "बड़ी संख्या में प्राइमरी टीचर (पीआरटी), ट्रेंड ग्रेजुएट टीचर (टीजीटी), उच्च और निम्न श्रेणी के लिपिक (यूडीसी और एलडीसी) और मल्टी-टास्किंग स्टाफ (एमटीएस) ने नियुक्ति आदेश प्रस्तुत करके अपना पद सुरक्षित कर लिया था। बाद में पता चला कि यह धोखाधड़ी थी।"
'प्रशासनिक कार्रवाई होगी शुरू'
टाक ने कहा, "सभी अवैध नियुक्तियां विभिन्न अधिकारियों ने की थी और मामले में जांच जारी है। अब तक लोंगडिंग जिले के माध्यमिक शिक्षा विभाग के एक उप निदेशक को अनियमितताओं में शामिल होने के आरोप में निलंबित किया गया है। मामले में शामिल अन्य लोगों के खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई शुरू की जाएगी।"
'सीएम ने दिए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम को जांच के आदेश'
अधिकारी ने बताया कि राज्य के मुख्यमंत्री पेमा खांडू पहले ही मामले को स्टेट पुलिस की एक स्पेशल जांच टीम को सौंपने का आदेश दे चुके हैं। शिक्षा विभाग ने संबंधित अधिकारियों को इस फर्जीवाड़े और फर्जी नियुक्ति आदेशों को लेकर प्राथमिकी(FIR) दर्ज करने का भी निर्देश दिया है।
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