अलीगढ़। महात्मा गांधी की 151वीं जयंती पर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) ने शुक्रवार को मौलाना आजाद (एमए) पुस्तकालय की ओर से आयोजित एक वर्चुअल कार्यक्रम के साथ 'राष्ट्रपिता' को श्रद्धांजलि अर्पित की। एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्लेटफॉर्म के माध्यम से शिक्षकों, छात्रों और अन्य कर्मचारियों को संबोधित करते हुए, एएमयू के कुलपति तारिक मंसूर ने कहा कि महात्मा गांधी का दक्षिण अफ्रीकी प्लेग को नियंत्रित करने के लिए दिखाया गया मार्ग कोविड-19 से प्रभावित दुनिया के लिए उपयोगी साबित हो सकता है।
गांधीजी ने तब लोगों से आग्रह किया था कि वे जहां पर भी हैं, वहां बिना घबराए रहें और इस तथ्य का खुलासा न करें कि वे संक्रमित हो गए हैं। उन्होंने लोगों से कहा कि वे स्वच्छ रहें, अपने आवासों को अच्छी तरह से हवादार और साफ-सुथरा रखें, साफ-सुथरे कपड़े पहनें, भव्य रात्रिभोज और दावतों से बचें, संक्रमित व्यक्तियों द्वारा इस्तेमाल की गई चीजों का उपयोग न करें, सामान्य अनुपात के कमरों में शारीरिक दूरी बनाए रखें, रसोई में न सोएं और व्यायाम के लिए रोजाना दो मील पैदल चलें।
कुलपति ने कहा कि गांधीजी ने अंतिम समय तक विभाजन का विरोध किया था। मंसूर ने कहा कि महात्मा गांधी 1915 में दक्षिण अफ्रीका में दो दशकों तक रहने के बाद भारत लौटे। वह इंग्लैंड का दौरा करने के बाद भारत पहुंचे और स्वतंत्रता संग्राम को आगे बढ़ाने के लिए पूरी तरह से तैयार थे।
कुलपति ने दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद पर गांधी के सामने आने वाली तमाम चुनौतियों का भी जिक्र किया। इसके बाद उन्होंने गांधी के सत्याग्रह का भी वर्णन किया। उन्होंने कहा, "गांधीजी ने समाज और समुदायों के सभी वर्गों पर हो रहे उत्पीड़न और अत्याचार के खिलाफ विरोध जताया और ग्रामीण क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता लाने के विचार को बढ़ावा दिया।"
कुलपति ने कहा, "महात्मा गांधी हमेशा मानते थे कि राष्ट्र तभी प्रगति कर सकते हैं, जब आबादी में समानता और सहिष्णुता हो।"मंसूर ने बाद में राष्ट्र की स्वतंत्रता और अखंडता को संरक्षित और मजबूत करने के लिए समर्पण के साथ काम करने के लिए एक ऑनलाइन प्रतिज्ञा भी ली। उन्होंने एएमयू शिक्षकों, छात्रों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को एक 'स्वच्छता शपथ' भी दिलाई और कहा कि महात्मा गांधी ने एक विकसित और स्वच्छ राष्ट्र का सपना देखा था।
इससे पहले दिन में, कुलपति ने महात्मा गांधी के जीवन की सभी महत्वपूर्ण घटनाओं का चित्रण करते हुए दुर्लभ पुस्तकों, दस्तावेजों, पत्रिकाओं और खूबसूरत तस्वीरों की एक वर्चुअल प्रदर्शनी का उद्घाटन भी किया।वर्चुअल कार्यक्रम में एएमयू के प्रो-वाइस-चांसलर जहीरुद्दीन और रजिस्ट्रार अब्दुल हामिद (आईपीएस) भी शामिल हुए।इस अवसर पर एम. रिजवान खान (अध्यक्ष, अंग्रेजी विभाग) ने कहा कि 'गांधीजी' आज एक ऐतिहासिक व्यक्तित्व की तुलना में एक विचार के रूप में अधिक प्रासंगिक है।