हाल में सरकार ने एमबीबीएस की पढ़ाई हिंदी में करने की बात कही थी, जिस कारण कई राज्यों ने अपने यहां एमबीबीएस कोर्स के सिलबेस हिंदी में तैयार करना शुरू कर दिया है। इसके बाद अब केंद्र सरकार ने एक और बड़ा फैसला लिया है कि इंजीनियरिंग के लिए बीटेक जैसे कोर्स भी हिंदी में पढ़ाए जाएंगे। इसकी जानकारी केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने एक बैठक में दी है। इसके अतिरिक्त केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बीते दिन को कहा कि केंद्र ने हाल ही में कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) द्वारा आयोजित सरकारी नौकरी भर्ती परीक्षा 15 भारतीय भाषाओं में आयोजित करने का फैसला लिया है। कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय की 14वीं हिंदी सलाहकार समिति की बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने ये बातें कहीं।
एसएससी परीक्षा के लिए ऐतिहासिक फैसला
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने आगे कहा, यह ऐतिहासिक फैसला स्थानीय युवाओं की भागीदारी और क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देगा। हाल ही में 15 भारतीय भाषाओं में सरकारी नौकरी के एग्जाम आयोजित करने का फैसला लिया गया ताकि भाषा की बाध्यता युवाओं की नौकरी बाधा न बन सके। उन्होंने एसएससी के भर्ती परीक्षा की बात करते हुए कहा कि हिंदी और अंग्रेजी के अलावा पेपर 13 क्षेत्रीय भाषाओं यानी असमिया, बंगाली, गुजराती, मराठी, मलयालम, कन्नड़, तमिल, तेलुगु, उड़िया, उर्दू, पंजाबी, मणिपुरी (मैती भी) और कोंकणी में तैयार किया जाएगा।
क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा
उन्होंने आगे कहा, ''प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पिछले 9 सालों से ज्यादा समय में आधिकारिक भाषा हिंदी के अतिरिक्त देश की क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने में प्रगति हासिल हुई है।'' इस फैसले से लाखों उम्मीदवार अपनी मातृभाषा/क्षेत्रीय भाषा में एग्जाम दे सकेंगे। बता दें कि काफी समय से कई राज्यों से एसएससी एग्जाम अंग्रेजी और हिंदी के अलावा अन्य भाषाओं में आयोजित करने की मांग की जा रही थी।
हिंदी मीडियम में अब BTech की पढ़ाई
मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने हिंदी, तमिल, तेलुगु, मलयालम, गुजराती, बंगाली जैसी क्षेत्रीय भाषाओं में मेडिकल ( MBBS ) और इंजीनियरिंग ( BTech / BE) पढ़ाई होने का आह्वान किया है। इसके बाद मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में शुरू हो गई है। अब जल्द ही इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी हिंदी में होने लगेगी। इसके लिए ही इंजीनियरिंग की किताबों का अनुवाद भी जल्द शुरू किया जाएगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा, देश में 8 भाषाओं में इसकी शुरुआत हो चुकी है और जल्द ही देश भर के छात्र अपनी मातृभाषा में इंजीनियरिंग और मेडिकल एजुकेशन की पढ़ाई कर सकेंगे।
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