क्या आईआईटी से बच्चों को मोह कम हो रहा है? ऐसा लग रहा है क्योंकि आईआईटी के एक कोर्स में बच्चे अब एडमिशन कराने में कम दिलचस्पी ले रहे हैं। बता दें आईआईटी के अधितर कॉलेजों में डॉक्टोरल प्रोग्राम के एनरोलमेंट में गिरावट दर्ज की गई है। आईआईटी बॉम्बे के प्रोफेसर मंजूनाथ की पेपर में यह बात सामने आई है। प्रोफेसर ने शीर्षक प्रीमियर इंस्टीट्यूशंस में इंजीनियरिंग पीएचडी: स्लोप क्या है?'नाम से पेपर लिखा है, जिसमें उन्होंने लिखा है कि आईआईटी से पीएचडी के लिए आवेदन करने वालों की संख्या में कमी ऐसे समय में आई है जब इन संस्थानों के पास रिकॉर्ड फैकल्टी मेंबर और रिसर्च फंडिंग है। इतना ही पेपर में कहा गया कि इस समय पीएचडी रिसोर्स की डिमांड भी काफी ज्यादा है फिर भी ये कमी आई है। ये पेपर शैक्षणिक संस्थानों में खूब ज्यादा शेयर हो रहे हैं।
दिसंबर माह वाले लेवल में बहुत कम आवेदन
जानकारी दे दें कि अधिकतर शैक्षणिक संस्थान में पीएचडी के दो लेवल होते हैं। पहला चरण मई में और दूसरा दिसंबर में होता है। अगर आवेदन की बात करें तो मई माह की तुलना में दिसंबर माह वाले लेवल में बहुत कम आवेदन हुए हैं। साथ ही, कोर स्ट्रीम में ड्राप देखा गया है। इनमें केमिकल, सिविल, सीए, इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल, इंजीनियरिंग में भी ड्राप देखा गया है। अगर कॉलेज की बात करें तो आईआईटी बॉम्बे, चेन्नई, हैदराबाद, गांधीनगर में भी आवेदन में कमी आई है।
दूसरे इंस्टीट्यूट के एनरोलमेंट बढ़े
वहीं, ऑल इंडिया सर्वे ऑफ हायर एजुकेशन के मुताबिक, दूसरे इंस्टीट्यूट की बात करें तो यहां पर एनरोलमेंट बढ़े हैं। वहीं, ब्लू-चिप संस्थानों में एप्लीकेशन नंबर में गिरावट के दूसरे कारण भी हैं, जैसे छात्रों का विदेश जाना, कई लोगों को सरकारी नौकरियां मिलना और ग्रेजुएट प्रोग्राम की क्वालिटी में गिरावट दर्ज की गई है। कई मास्टर प्रोग्राम, जो पीएचडी के लिए जरूरी हैं, वह अब संकट में हैं।
ये भी पढ़ें:
एसएससी एमटीएस के एग्जाम आज से हो रहे शुरू, शामिल होंगे करीब 8 लाख उम्मीदवार