नई दिल्ली। शिक्षक संगठन दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (डीटीए) ने दिल्ली विश्वविद्यालय की सर्वोच्च संस्था कार्यकारी परिषद व विद्वत परिषद ( ईसी और एसी ) चुनाव के लिए बुधवार को अपना घोषणा पत्र जारी किया। साथ ही शिक्षकों से 12 फरवरी को डीटीए उम्मीदवारों के पक्ष में वोट करने की अपील की है। घोषणा पत्र को आप के राज्यसभा सांसद सुशील कुमार गुप्ता ,डीटीए प्रभारी प्रोफेसर हंसराज सुमन ,डॉ. मनोज कुमार सिंह , डॉ. आशा रानी ने जारी किया। डीटीए ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय में पांच हजार से अधिक एडहॉक शिक्षकों का समायोजन और स्थायीकरण कराना डीटीए की पहली प्राथमिकता में है।
राज्यसभा सांसद सुशील कुमार गुप्ता ने कहा, "एडहॉक शिक्षकों के समायोजन और स्थायीकरण पर दिल्ली सरकार ने अपने अंतर्गत आने वाले कॉलेजों की गवनिर्ंग बॉडी के चेयरपर्सन को निर्देश दिए हैं कि वे प्रिंसिपलों व दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति को इस संदर्भ में पत्र लिखकर इसे जल्द लागू कराएं।"
गुप्ता ने कहा कि दिल्ली सरकार उच्च शिक्षा में वहीं मॉडल लाना चाहती है जो सरकारी स्कूलों का रहा है, ताकि गरीब व आम आदमी के बच्चे उच्च शिक्षा में स्तरीय शिक्षा प्राप्त कर सकें। प्रयोग के तौर पर दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित कॉलेजों को मॉडल के रूप में विकसित करने जा रहे हैं।
उन्होंने 5 दिसम्बर 2019 के सकरुलर को संसद में भी उठाया और उसको लागू करवाने के लिए डीयू के कुलपति और शिक्षा मंत्री भारत सरकार को पत्र लिख चुके हैं। उन्होंने कहा कि एडहॉक शिक्षकों को समायोजित करने के साथ ही साथ मातृत्व अवकाश और चिकित्सा सुविधा तत्काल प्रभाव से लागू करवाने के हम लगातार कोशिश में है। उनका कहना था कि महिला शिक्षिकाओं को मातृत्व अवकाश ना देना अमानवीय व गैर कानूनी है।
प्रोफेसर सुमन ने कहा कि दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वाले वित्त पोषित 28 कॉलेजों में समायोजन और स्थायीकरण कराना और 5 दिसम्बर 2019 के शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी सकरुलर को अक्षरश लागू करवाना हमारी पहली प्राथमिकता में है। उन्होंने कहा कि समायोजन और "स्थायीकरण पर केंद्र सरकार से तुरंत अध्यादेश लाने और सभी को स्थायी करने की मांग की जाएगी।"